कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर की मौत हुए तकरीबन 20 दिन बीत गए, लेकिन सीबीआई अब तक सच के करीब नहीं पहुंच पाई है|आरजी कर कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य संदीप घोष से 15 दिनों तक सीबीआई ने पूछताछ की| झूठ पकड़ने वाली मशीन से उनकी एक-एक बात की हकीकत जांची गई| इस दौरान संदीप घोष ने कुछ ऐसे खुलासे किए| जो मामले को नया मोड़ दे सकते हैं|
कोलकाता कांड की जांच से जुड़े सूत्रों ने बताया कि डॉ. संदीप घोष अस्पताल के अधिकारियों पर सारा दोष मढ़ रहे हैं| कह रहे कि ‘घटना वाली रात अस्पताल के अधिकारियों ने महिला डॉक्टर के माता-पिता को गुमराह किया| जहां पर घटना हुई, वहां के बारे में मुझे भी 50 मिनट बाद बताया गया|घटना वाली जगह पर 40 मिनट तक कोई नहीं गया|
इस मामले में पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने सस्पेंड कर दिया है। ये कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष का नाम उनके कार्यकाल के दौरान संस्थान में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच के संबंध में दर्ज किया है।
एजेंसी ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) धारा 420 (धोखाधड़ी) के साथ पठित और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (2018 में संशोधित) की धारा सात लगाई है, जो एक लोक सेवक द्वारा अवैध रूप से रिश्वत स्वीकार करने से संबंधित है।
कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में नौ अगस्त को महिला ट्रेनी डॉक्टर का शव मिला था, जिस पर गंभीर चोटों के निशान थे। इस घटना के संबंध में सीबीआई जांच कर रही है। इस घटना के खिलाफ देश भर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश पर सीबीआई ने हत्या और कथित वित्तीय अनियमितताओं के मामले दर्ज किए।
इससे पहले डॉ. संदीप घोष का सोमवार को उनका लाई डिटेक्टर टेस्ट भी हुआ। उन पर इस मामले में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया गया है। बुधवार शाम जारी एक संक्षिप्त बयान में आईएमए ने कहा, स्थिति से निपटने में आपके खिलाफ अपनी शिकायतें दर्ज कराई हैं, साथ ही इस मुद्दे को उचित तरीके से संभालने में सहानुभूति और संवेदनशीलता की कमी के बारे में भी उन्होंने बताया है|
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