संयुक्त राष्ट्र महासभा में गाजा सीजफायर पर भारत के स्टैंड पर देश में राजनीति गरमा गई है। विपक्ष के कई नेताओं ने मोदी सरकार बर्ताव पर सवाल उठाया है। गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में गाजा में युद्ध विराम को लेकर जॉर्डन द्वारा प्रस्ताव लाया गया था। जिससे भारत ने दूसरी बना ली। भारत ने इस प्रस्ताव में हमास का जिक्र नहीं था। वहीं भारत का मानना है कि आतंकी हमले के दौरान उस देश को अपना बचाव करने का अधिकार है।
अब इस मुद्दे पर देश में राजनीति दलों ने पॉलिटिक्स करना शुरू कर दिया है। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने लिखा ” मै इस कदम से आश्चर्यचकित हूं कि हमारा देश गाजा में युद्ध विराम के लिए लाये गए प्रस्ताव में अनुपस्थित रहा। उन्होंने कहा कि हमारे देश की स्थापना सत्य और अहिंसा के आधार पर हुई है। इन सिद्धांतों के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने जीवन का बलिदान कर दिया। ये सिद्धांत संविधान का आधार है।
वहीं, शरद पवार ने भारत के फैसले पर हैरानी जताई है। उन्होंने कहा कि फिलिस्तीन के मुद्दे पर भारत में भ्रम की स्थिति देखने को मिल रही है। भारत हमेशा फिलस्तीन के पक्ष में खड़ा रहा है, न की इजराइल के। शरद पवार ने इस दौरान दावा किया कि सरकार में भी इस मुद्दे पर एकराय नहीं है। वहीं लालू यादव ने कहा कि भारत सरकार का फिलिस्तीन मुद्दे पर ढुलमुल रवैया है। यह पहला मौक़ा है। विदेश नीति के साथ खिलवाड़ बंद करें।
असदुद्दीन ओवैसी ने ने केंद्र सरकार की आलोचना की है। उन्होंने एक्स पर लिखा कि बेहद चौंकाने वाला है कि भारत ने गाजा में युद्ध विराम के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा में लाये गए प्रस्ताव पर वोट डालने से पीछे हट गया। उन्होंने लिखा कि इजरायल ने गाजा में 7028 लोगों मार डाला। जिसमें 3000 हजार महिलाएं और 1700 बच्चे हैं। इतना ही नहीं 45 प्रतिशत गाजा के घरों को नष्ट किया जा चुका है। उन्होंने लिखा कि यह राजनीति मुद्दा नहीं है बल्कि मानवतावादी मुद्दा है।
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