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भारत ट्रंप की टैरिफ धमकियों से निपटने में सक्षम: पूर्व अमेरिकी अधिकारी

भारत अब केवल लेन-देन आधारित रणनीति पर निर्भर नहीं रह सकता, बल्कि उसे एक स्थायी और आत्मनिर्भर वैश्विक आर्थिक दृष्टिकोण को अपनाना चाहिए

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पूर्व अमेरिकी सहायक वाणिज्य सचिव और सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) के वरिष्ठ सहयोगी रेमंड विकरी ने कहा है कि भारत की वैश्विक आर्थिक स्थिति उसे अमेरिकी टैरिफ दबावों का आत्मविश्वास के साथ सामना करने में सक्षम बनाती है। IANS को दिए एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में विकरी ने स्पष्ट किया कि भारत को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तावित व्यापारिक ‘ब्लैकमेल’ के सामने झुकने की आवश्यकता नहीं है।

विकरी के अनुसार, भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में अब ऐसी व्यापारिक नीतियों को अपना सकता है जो उसके दीर्घकालिक हितों की रक्षा करती हों। उन्होंने भारत-यूके व्यापार समझौते को एक सकारात्मक उदाहरण बताते हुए कहा कि यह टैरिफ में कटौती, स्थिरता और पारस्परिक लाभ सुनिश्चित करता है, जिससे व्यवसायों को दीर्घकालिक योजना बनाने में मदद मिलती है। इसके विपरीत, उन्होंने ट्रंप की व्यापार नीति को “अप्रत्याशित और अदूरदर्शी” करार दिया, जो दीर्घकालिक व्यापारिक साझेदारियों के लिए बाधा बनती है।

भारत की आर्थिक क्षमताओं की प्रशंसा करते हुए विकरी ने कहा कि देश में विश्व स्तरीय तकनीकी प्रतिभा मौजूद है और एक बड़ा, तेजी से बढ़ता उपभोक्ता बाजार है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देने की नीति की सराहना की, लेकिन साथ ही यह भी आगाह किया कि भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा को अपनाना चाहिए, क्योंकि सच्ची समृद्धि इसी से आती है।

विकरी ने कृषि और डेयरी क्षेत्रों को अमेरिकी कंपनियों के लिए पूरी तरह खोलने में मोदी सरकार की सतर्कता को भी उचित ठहराया। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में सुधार की दिशा में पूर्व में जो प्रयास हुए थे, उन पर दोबारा विचार किया जा सकता है ताकि उचित प्रतिस्पर्धा और संतुलित विकास को बढ़ावा मिले।

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि भारत को विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसे बहुपक्षीय मंचों पर अधिक सक्रिय नेतृत्वकारी भूमिका निभानी चाहिए, ताकि वैश्विक वाणिज्य में कानून का शासन कायम रहे। टैरिफ दबावों को ‘ब्लैकमेल’ की संज्ञा देते हुए विकरी ने कहा कि भारत को ऐसे अनुचित दबावों का विरोध ब्राजील जैसी अन्य उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के साथ तालमेल बनाकर करना चाहिए।

कुल मिलाकर, रेमंड विकरी का मानना है कि भारत अब केवल लेन-देन आधारित रणनीति पर निर्भर नहीं रह सकता, बल्कि उसे एक स्थायी और आत्मनिर्भर वैश्विक आर्थिक दृष्टिकोण को अपनाना चाहिए, जो देश की दीर्घकालिक शक्ति और समृद्धि को सुनिश्चित करे।

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