भारत के दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गांधी एक आत्मघाती बम विस्फोट में मारे गए थे। उस घटना से पूरा देश स्तब्ध था। 21 मई,1991 वह दिन था जब एक महिला राजीव गांधी को पैर छूने के लिए झुकी थी तभी उनके शरीर पर आरडीएक्स फट गया,जिससे राजीव गांधी की मौत हो गई।
इस हमले के पीछे लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम या लिट्टे का हाथ था। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था| जब राजीव गांधी का अंतिम संस्कार किया गया तब राहुल गांधी महज 21 साल के थे। आपने उस समय इस खबर को कैसे समझा? यह दर्द आज राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के अपने समापन भाषण में व्यक्त किया।
मैंने अब तक हिंसा देखी है। इसलिए हमारा मोबाइल या फोन के प्रति अलग नजरिया है। यह हमारे लिए सिर्फ एक टेलीफोन नहीं है। मेरी दादी की हत्या के छह-सात साल बाद एक और घटना घटी।
21 मई का दिन था। फोन जरूर आया होगा, जहां पुलवामा में हमारे जवान शहीद हुए। कश्मीरियों के घरों में फोन जरूर आए होंगे। उस समय मेरे पास एक फोन आया, यह मेरे पिता (राजीव गांधी) के मित्र का था। उन्होंने मुझे फोन पर कहा कि राहुल बुरी खबर है। मैंने उनसे कहा कि हां मैं समझता हूं कि बाबा (राजीव गांधी) की मृत्यु हो गई है।
उन्होंने हां कहा, मैंने उन्हें धन्यवाद दिया और फोन काट दिया। राहुल गांधी ने अपने दिल की इस पीड़ा को बयां किया। उन्होंने यह भी कहा कि हिंसा वही जानता है जिसने हिंसा को देखा और अनुभव किया हो।
मोदी, अमित शाह और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या अजीत डोभाल जैसे हिंसा करने वाले का दर्द क्या है? वे इसे नहीं समझेंगे। पुलवामा के शहीद जवानों के बच्चों ने जो दर्द महसूस किया होगा, उसे मैं समझ सकता हूं, मेरी बहन समझ सकती है| यहां कश्मीर के लोग समझ सकते हैं कि जब वह फोन आया तो मुझे क्या महसूस हुआ होगा। क्योंकि हो सकता है कि उनके घरों में भी इस तरह के कॉल आए हों।
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