बांग्लादेश के दिनाजपुर जिले से आई एक दर्दनाक खबर ने क्षेत्रीय मानवाधिकारों की स्थिति पर गहरा सवाल खड़ा कर दिया है। हिंदू समुदाय के वरिष्ठ नेता भावेश चंद्र रॉय का उनके घर से अपहरण कर क्रूर हत्या कर दी गई। इस नृशंस वारदात पर भारत ने तीव्र प्रतिक्रिया दी है और बांग्लादेश सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर गंभीरता बरतने की अपील की है।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयस्वाल ने घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “बांग्लादेश के हिंदू अल्पसंख्यक नेता भावेश चंद्र रॉय के अपहरण और बर्बर हत्या की घटना बेहद चिंताजनक है। यह वहां हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों की एक लंबी कड़ी का हिस्सा प्रतीत होती है। पुरानी घटनाओं के अपराधी आज भी खुलेआम घूम रहे हैं। हम इस घटना की कड़ी निंदा करते हैं और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को एक बार फिर याद दिलाते हैं कि वह कोई भी बहाना बनाए बिना और किसी भी प्रकार का भेदभाव किए बिना हिंदुओं सहित सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाए।”
भावेश चंद्र रॉय, बांग्लादेश पूजा उत्सव परिषद की बिरल यूनिट के उपाध्यक्ष और हिंदू समाज के एक सम्मानित नेता थे। वे दिनाजपुर के बासुदेवपुर गांव के निवासी थे। पुलिस के अनुसार, गुरुवार शाम को चार अज्ञात लोग दोपहिया वाहन से उनके घर आए और एक कॉल की पुष्टि के बाद उन्हें जबरन अपने साथ ले गए। शुक्र की हदें पार करते हुए, इन हमलावरों ने उन्हें अगवा कर शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया और बाद में एक वैन में लाकर उनके घर के पास फेंक दिया। जब परिवार को जानकारी मिली और भावेश को अस्पताल ले जाया गया, तब तक बहुत देर हो चुकी थी—डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
भावेश की पत्नी शांतना ने बताया कि घटना से पहले एक संदिग्ध कॉल आया था, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि उनकी गतिविधियों पर पहले से निगरानी रखी जा रही थी। इस तरह की संगठित और सुनियोजित हिंसा ने न केवल बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समुदाय को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता पैदा कर दी है।
इस घटना ने बांग्लादेश में चुनावी माहौल के बीच हिंदू समुदाय की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। भारत की ओर से यह कड़ा संदेश इस बात का संकेत है कि वह अपने पड़ोसी देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों पर चुप नहीं बैठने वाला है। अब सवाल यह है—क्या बांग्लादेश सरकार इस पर ठोस कदम उठाएगी या यह भी एक और केस बनकर पुलिस फाइलों में गुम हो जाएगा? भारत की चेतावनी इस बार बेहद साफ है—“कोई सबबी नहीं चलेगा।”
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