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Friday, May 16, 2025
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फॉरेन एक्सचेंज बाजार का टर्नओवर हुआ दोगुना, 60 अरब डॉलर का आंकड़ा पार!

गवर्नमेंट सिक्योरिटी मार्केट में भी औसत दैनिक कारोबार में 40% की बढ़त दर्ज की गई है और यह आंकड़ा अब 66,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।

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भारतीय वित्तीय बाजारों ने हाल के वर्षों में जिस गति से विस्तार किया है, वह केवल आंकड़ों की चमक नहीं, बल्कि भारत की आर्थिक नींव की मजबूती का स्पष्ट प्रमाण है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बाली में आयोजित 24वें एफआईएमएमडीए-पीडीएआई एनुअल कॉन्फ्रेंस में खुलासा किया कि भारत के फॉरेन एक्सचेंज (फॉरेक्स) बाजार का एवरेज डेली टर्नओवर वर्ष 2024 में बढ़कर 60 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जो कि 2020 के मुकाबले लगभग दोगुना है।

गवर्नर मल्होत्रा का यह बयान न केवल विदेशी निवेशकों को आश्वस्त करता है, बल्कि भारत की नीतिगत स्थिरता और बढ़ते वैश्विक प्रभाव का भी संकेत देता है। उन्होंने कहा, “बीते कुछ वर्षों में फॉरेक्स बाजार में बड़ा बदलाव आया है और यह एक मजबूत बाजार के रूप में उभरे हैं।”

RBI प्रमुख ने यह भी बताया कि ओवरनाइट मनी मार्केट का एवरेज डेली वॉल्यूम भी 2020 के 3 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2024 में 5.4 लाख करोड़ रुपये हो गया है, यानी लगभग 80% की छलांग। वहीं, गवर्नमेंट सिक्योरिटी मार्केट में भी औसत दैनिक कारोबार में 40% की बढ़त दर्ज की गई है और यह आंकड़ा अब 66,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि भारत का वित्तीय ढांचा केवल घरेलू जरूरतों के अनुरूप नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुकूल भी तेजी से खुद को ढाल रहा है। मल्होत्रा ने जोर देते हुए कहा कि वित्तीय बाजार केवल पूंजी का स्थानांतरण करने वाले मंच नहीं हैं, बल्कि आर्थिक विकास के प्रमुख प्रवर्तक (drivers) भी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि भारत को अपने परिवर्तनशील दौर में विकास की ऊंचाइयों तक पहुंचना है, तो वित्तीय बाजारों की भूमिका और भी निर्णायक होगी।

इस सम्मेलन में उन्होंने यह विश्वास भी जताया कि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत के सरकारी बॉन्ड मार्केट स्थिर बने हुए हैं। उन्होंने जानकारी दी कि वित्त वर्ष 2024-25 में केंद्र और राज्य सरकारों की सकल बाजार उधारी 24.7 लाख करोड़ रुपए रही है, जो देश की कर्ज प्रबंधन नीति की संतुलित दिशा का संकेत देती है।

इस विकास गाथा में फॉरेक्स का यह दोगुना विस्तार बता रहा है कि भारत वैश्विक आर्थिक मानचित्र पर अब केवल उभरता हुआ खिलाड़ी नहीं, बल्कि एक स्थिर और निर्णायक शक्ति बनकर सामने आ रहा है। आने वाले वर्षों में यह ट्रेंड अगर बरकरार रहता है, तो भारत का फाइनेंशियल इंफ्रास्ट्रक्चर न केवल निवेशकों के लिए भरोसेमंद रहेगा, बल्कि नीति निर्माताओं के लिए भी प्रेरक सिद्ध होगा।

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