भारत द्वारा ‘सिंधु जल संधि’ को स्थगित करने के बाद पाकिस्तान की ओर से तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने सोमवार को चेतावनी दी कि यदि भारत सिंधु जल संधि को बहाल नहीं करता और पाकिस्तान की ओर बहने वाले पानी को मोड़ने की कोशिश करता है, तो भारत-पाकिस्तान के बीच लागू संघर्ष विराम (सीजफायर) खतरे में पड़ सकता है।
इशाक डार का यह बयान भारत और पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन्स (डीजीएमओ) स्तर की वार्ता के ठीक बाद आया है, जिसमें दोनों पक्षों ने संघर्ष विराम की घोषणा को बरकरार रखने पर सहमति जताई थी। डार ने स्पष्ट कहा, “वह भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम का स्वागत करते हैं, लेकिन दोनों पक्षों द्वारा एक-दूसरे के क्षेत्रों में बड़े सैन्य अभियानों के बाद, जल मुद्दे को जल्द ही हल करने की आवश्यकता है। यदि भारत सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) को स्थगित करने के अपने फैसले को वापस नहीं लेता है तो युद्ध विराम की संभावना सवालों के घेरे में ही रहेगी।”
उन्होंने यह भी जोड़ा, “हम दोनों पक्षों के लिए सम्मान के साथ आगे बढ़ाना चाहते हैं और एक समग्र वार्ता के माध्यम से उन सभी मुद्दों को हल करना चाहते हैं, जो इस क्षेत्र को दीर्घकालिक आधार पर शांति और सुरक्षा प्रदान करेंगे। लेकिन, पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) ने घोषणा की है कि यदि ‘सिंधु जल संधि’ से छेड़छाड़ की जाती है और पानी को मोड़ा या रोका जाता है तो इसे युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा।”
इस बयान के पीछे की पृष्ठभूमि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले की है, जिसमें 26 निर्दोष सैलानियों की जान चली गई थी। इसके जवाब में भारत सरकार ने सिंधु जल समझौते को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया था। इससे पाकिस्तान को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई को राष्ट्र को संबोधित करते हुए साफ शब्दों में कहा, “जिस तरह पाकिस्तानी सेना और सरकार आतंकवाद को बढ़ावा दे रही है। वह एक दिन पाकिस्तान को तबाह कर देगी। पाकिस्तान को बचना है तो अपने आतंकी ढांचे को नष्ट करना होगा। शांति का कोई दूसरा रास्ता नहीं है।” उन्होंने यह भी दोहराया, “खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।”
प्रधानमंत्री के इन बयानों ने भारत की नीति को साफ कर दिया है—आतंकवाद और वार्ता साथ-साथ नहीं चल सकते। यही संदेश पाकिस्तान को भी भेजा गया है: जब तक आतंकी ढांचे को खत्म नहीं किया जाएगा, तब तक न तो व्यापार हो सकता है और न ही सिंधु जल संधि जैसी साझेदारी।
गौरतलब है कि वर्ष 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि हुई थी, जिसमें दोनों देशों के बीच बहने वाली छह नदियों—सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलज—के जल बंटवारे को लेकर सहमति बनी थी। दशकों तक यह संधि युद्ध और तनाव के बावजूद कायम रही है, लेकिन अब पाकिस्तान पोषित आतंकवाद की वजह से यह ऐतिहासिक समझौता भी संकट में आ गया है।
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