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ईरान और ‘ई3’ देशों के बीच इस्तांबुल में 25 जुलाई को परमाणु वार्ता

इजरायल-अमेरिका हमलों के बाद पहली बातचीत

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ईरान एक बार फिर अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर वार्ता के लिए तैयार हो गया है। इस बार यह बैठक 25 जुलाई को तुर्किये के इस्तांबुल शहर में आयोजित की जाएगी, जिसमें ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी (जिन्हें सामूहिक रूप से ‘ई3’ कहा जाता है) के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। यह बैठक उप-विदेश मंत्री स्तर पर होगी। ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माईल बाघेई ने इस वार्ता की पुष्टि करते हुए बताया कि यह वार्ता उस स्थिति में हो रही है जब ईरान पर पहले से ही ‘ई3’ द्वारा वार्ता शुरू न करने की सूरत में प्रतिबंधों की चेतावनी दी गई थी।

यह वार्ता ऐसे समय पर हो रही है जब जून महीने में इजरायल और अमेरिका ने ईरान की कई परमाणु साइट्स पर सैन्य हमले किए थे, जिनमें ईरान के शीर्ष परमाणु वैज्ञानिकों, वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों और नागरिकों की मौत हुई थी। इन हमलों के बाद ई3 देशों के विदेश मंत्रियों और यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख ने ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची के साथ पहली बार बातचीत की थी, जो अब इस औपचारिक वार्ता का रूप ले रही है।

ईरान का आरोप है कि अमेरिका ने इजरायल के साथ मिलकर उसके खिलाफ आक्रामक कार्रवाई की है। अमेरिका ने यहां तक दावा किया था कि उसने ईरान की तीन महत्वपूर्ण न्यूक्लियर फैसिलिटी को “तबाह” कर दिया है। हालांकि, 24 जुलाई को ईरान और इजरायल के बीच एक सीजफायर हुआ है, जिसने तनाव को थोड़ा कम किया है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले ही ईरान को चेताया है कि अगर उसने अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम को दोबारा शुरू करने की कोशिश की, तो अमेरिका “बिना कोई संकोच किए” फिर से बमबारी करेगा। इससे पहले, इजरायल-ईरान युद्ध से ठीक पहले तेहरान और वाशिंगटन के बीच ओमान की मध्यस्थता में पांच चरणों की गुप्त परमाणु वार्ताएं भी हुई थीं, परंतु यूरेनियम संवर्धन (एनरिचमेंट) जैसे मुद्दों पर दोनों पक्षों में गंभीर असहमति बनी रही।

गौरतलब है कि वर्ष 2015 में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, रूस और चीन ने मिलकर ईरान के साथ एक ऐतिहासिक परमाणु समझौता (JCPOA) किया था, जिसमें ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम पर रोक लगाने का वादा किया था। लेकिन 2018 में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा इस समझौते से अमेरिका के बाहर निकलने के बाद ईरान और पश्चिमी देशों के बीच भरोसे में बड़ी गिरावट आई है।

अब यह देखना अहम होगा कि 25 जुलाई की वार्ता ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर एक नए समझौते या संघर्ष विराम की दिशा में कितनी सफल हो पाती है। इस्तांबुल बैठक एक बार फिर दुनिया की नजरों का केंद्र बन गई है।

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