29 C
Mumbai
Friday, December 5, 2025
होमदेश दुनियाजोड़ों के दर्द से उठना-बैठना कठिन, राहत देगा आयुर्वेदिक इलाज​!

जोड़ों के दर्द से उठना-बैठना कठिन, राहत देगा आयुर्वेदिक इलाज​!

इसके कई प्रकार होते हैं, जिनमें ऑस्टियोआर्थराइटिस (उम्र के साथ होने वाला) और रुमेटाइड आर्थराइटिस (एक ऑटोइम्यून बीमारी) सबसे आम हैं।

Google News Follow

Related

आजकल जोड़ों में दर्द, अकड़न और सूजन की समस्या बहुत आम हो गई है। पहले सिर्फ उम्रदराज दराज लोगों में ही यह समस्या देखने को मिलती थी, लेकिन आज कम उम्र के लोग भी इस समस्या से पीड़ित हैं।​ आयुर्वेद में अर्थराइटिस को एक गंभीर बीमारी के रूप में देखा जाता है। इसके कई प्रकार होते हैं, जिनमें ऑस्टियोआर्थराइटिस (उम्र के साथ होने वाला) और रुमेटाइड आर्थराइटिस (एक ऑटोइम्यून बीमारी) सबसे आम हैं।
आयुर्वेद की मानें तो जब शरीर में पाचन क्रिया कमजोर हो जाती है, तो अपूर्ण रूप से पचा हुआ भोजन विषैले तत्व के रूप में शरीर में एकत्र होने लगता है। यह टॉक्सिक जब वात दोष के साथ मिलकर शरीर के जोड़ों में जमा हो जाता है, तो उसे आमवात (रूमेटाइड आर्थराइटिस) कहा जाता है। यह स्थिति अत्यंत पीड़ादायक होती है और पूरे शरीर में जकड़न, जोड़ों में सूजन व दर्द पैदा करती है। वहीं, यदि वात दोष रक्त दोष के साथ मिलकर जोड़ों में रुकावट और सूजन पैदा करता है, तो उसे वातरक्त (गाउट) कहा जाता है।

आयुर्वेद में गठिया का उपचार केवल लक्षणों को दबाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य रोग की जड़ पर कार्य करना होता है। इसमें खानपान और जीवनशैली, पंचकर्म चिकित्सा, औषधियों और योग-प्राणायाम के माध्यम से संतुलन स्थापित किया जाता है।

सबसे पहले रोगी के पाचन तंत्र को सुधारने के लिए दीपन-पाचन औषधियों का प्रयोग किया जाता है, जैसे कि त्रिकटु, हिंग्वाष्टक चूर्ण आदि। इसके बाद शरीर में संचित टॉक्सिन को बाहर निकालने के लिए स्नेहन, स्वेदन और फिर वमन या विरेचन जैसी पंचकर्म प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं।

गठिया के उपचार में प्रयुक्त प्रमुख आयुर्वेदिक औषधियों में महारास्नादि क्वाथ, योगराज गुग्गुलु, सिंहनाद गुग्गुलु, अश्वगंधा चूर्ण, दशमूल क्वाथ, और शुद्ध शिलाजीत प्रमुख हैं। ये औषधियां वात दोष का शमन करती हैं, सूजन को कम करती हैं और जोड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाती हैं। इसके साथ ही रोगी को भारी, तैलीय, खट्टे और गरिष्ठ भोजन से परहेज करना चाहिए क्योंकि ये वात और आम को बढ़ाते हैं। गर्म पानी, हल्का सुपाच्य भोजन, और नियमित व्यायाम करने की सलाह दी जाती है।

योग और प्राणायाम भी गठिया के प्रबंधन में सहायक होते हैं। विशेषकर वज्रासन, त्रिकोणासन, और भुजंगासन जैसे आसन जोड़ों की गतिशीलता बनाए रखते हैं और दर्द में राहत देते हैं। प्राणायाम जैसे अनुलोम-विलोम और भस्त्रिका वात संतुलन में मदद करते हैं। इसके अलावा, एक ही जगह पर अधिक समय बैठने से बचें।

 
​यह भी पढ़ें-

यूपी का नया अवतार : जमीन पर रफ्तार, आकाश में विस्तार!

National Stock Exchange

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Star Housing Finance Limited

हमें फॉलो करें

151,711फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
284,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें