झांसी के महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा वार्ड (एसएनसीयू) में भीषण आग लगने से 10 नवजात शिशुओं की झुलसने एवं दम घुटने से मौत हो गई। जिस वार्ड में आग लगी थी, वहां 55 नवजात भर्ती थे। 45 नवजात को सुरक्षित निकाल लिया गया। हादसे की सूचना मिलते ही दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंच गई। सेना एवं दमकल की गाड़ियों ने आग बुझाने में मदद कीं। दस नवजात की मौत से अस्पताल परिसर में कोहराम मच गया।
बता दे कि आगजनी के बाद झांसी मेडिकल कॉलेज की एसएनसीयू में भर्ती छह नवजात लापता हैं, जिनके बारे में किसी के भी पास कोई संतोषजनक जबाव नहीं है। वहीं, परिजनों का रो-रो का बुरा हाल है। परिजनों का कहना है कि जब बच्चे एसएनसीयू में भर्ती थे तो वहां से कहां चले गए? कोई भी कुछ नहीं बता रहा है। इससे मरने वाले नवजात शिशुओं का आंकड़ा बढ़ सकता है।
वही, दस घंटे से अधिक का समय बीतने के बाद भी मेडिकल प्रशासन की ओर से अग्निकांड के शिकार हुए और लापता नवजात शिशुओं की कोई भी सूची जारी नहीं की है। झांसी मेडिकल कॉलेज ने गायब बच्चों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। लापता बच्चों के लिए हेल्पलाइन नंबर 9454417618 जारी किया गया है। उधर, झांसी मेडिकल कॉलेज में नवजात शिशुओं की मौत के मामले में प्रशासन ने जांच के लिए छह डॉक्टरों का विशेष पैनल गठित किया है।
गौरतलब है कि प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार शुक्रवार रात करीब दस बजे नवजात शिशु वार्ड से धुआं निकलता दिखा। वहां मौजूद लोगों ने शोर मचाया। जब तक कुछ समझ पाते, आग की लपटें उठने लगीं। देखते ही देखते आग ने नवजात शिशुओं के वार्ड को अपने आगोश में ले लिया। इस घटना के बाद अस्पताल और परिसर में चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल दिखाई दिया। दरवाजे पर लपट और धुआं होने के कारण नवजात समय पर बाहर नहीं निकाले जा सके। दमकल की गाड़ियों के पहुंचने पर शिशुओं को बाहर निकाला जा सका।
झांसी के महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज में फायर सेफ्टी की व्यवस्थाएं जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने बताया कि जून में ट्रायल भी किया गया था, मगर अफसोस की बात यह है कि एसएनसीयू में शुक्रवार की रात आग लगने की घटना हुई और 10 नवजात शिशुओं ने मौत होने की हृदय विदारक घटना हुई। यहां पर आग से बचाव के लिए लगे फायर इंस्टिग्यूशर की एक्सपायरी डेट समाप्त होने के कारण आग बुझाने में नाकाम साबित हुआ।
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