कानपुर के चमनगंज थाना इलाके के घनी आबादी वाले प्रेम नगर इलाके में रविवार रात 9:30 बजे छह मंजिला इमारत के भूतल में जूते बनाने वाले कारखाने में आग लग गई। ऊंची-ऊंची लपटें देख अफरातफरी मच गई। इमारत में फंसे जूता कारोबारी दानिश, उसकी पत्नी नाजनीन और तीन बेटियों के जले हुए शव निकाले।
कानपुर के चमनगंज में जूते के कारखाने में लगी आग बहुत तेजी से फैल गई, जिसकी चपेट में बेसमेंट में रखे केमिकल के ड्रम आ गए। एक के बाद एक तीन धमाके हुए। इनसे पूरा क्षेत्र दहल गया। धमाकों के बाद आग ने विकराल रूप ले लिया और लपटें आखिरी मंजिल तक पहुंच गई। देर रात एसडीआरएफ ने मोर्चा संभाला। आग के कारण इमारत में दरार आ गई।
केमिकल का इस्तेमाल जूतों को चिपकाने में किया जाता है। घटना के बाद दमकल की कई और गाड़ियों को बुला लिया गया है। फायर ब्रिगेड के साथ ही पुलिस की टीम भी रेस्क्यू कार्य में जुट गई है। कारखाने में रात साढ़े नौ बजे आग लगी थी, जिसके तीन घंटे बाद साढ़े बारह बजे हाईड्रोलिक मशीन मंगवाकर बचाव कार्य किया गया।
देर रात 50 से ज्यादा दमकल कर्मी बिल्डिंग के अंदर सीढ़ी लगाकर आग बुझाने के प्रयास में जुटे। सुबह तक आग पर काबू पाया गया। जाजमऊ निवासी मिस्ताहुल हक इसरत इराकी ने बताया कि बिल्डिंग की तीसरी मंजिल पर उनका भांजा दानिश, उसकी पत्नी नाजनीन और तीन बेटियां फंस गई। बताया कि दानिश के पिता अकील हैं, जो कि आग लगने पर नीचे आ गए थे।
अकील ने आग लगने पर बेटे दानिश को फोन किया था। दानिश ने फोन उठाकर हैलो बोला लेकिन फिर उसका फोन अचानक बंद हो गया। इसके बाद उससे संपर्क नहीं हो पाया। आग लगने के दौरान दानिश एक बार नीचे उतर के आया था। वह परिवार को बचाने दोबारा घर के ऊपर भागा।
कानपुर के चमनगंज थाना इलाके में घनी आबादी वाले प्रेमनगर इलाके में रविवार रात 9:30 बजे छह मंजिला इमारत के भूतल में जूते बनाने वाले कारखाने में आग लग गई। ऊंची-ऊंची लपटें देख अफरातफरी मच गई। दमकल की 35 गाड़ियां देर रात तक आग बुझाने की कोशिश में जुटी रहीं। सुबह तक आग पर काबू पाया गया। घटना में पांच लोगों की जान चली गई। रात करीब तीन बजे दमकलकर्मियों ने इमारत में फंसे जूता कारोबारी दानिश, उसकी पत्नी नाजनीन और तीन बेटियों के जले हुए शव निकाले।
शॉर्ट सर्किट से आग लगने का अंदेशा जताया जा रहा है। जानकारी के अनुसार, प्रेमनगर में दानिश की छह मंजिला इमारत है। इसमें दानिश और उनके भाई कासिफ का ही परिवार रहता है। भूतल पर दानिश का मिलिट्री के जूते बनाने का कारखाना है। इसके ऊपर गोदाम है। इमारत के अन्य तलों में जूते रखे हुए थे। रविवार को कारखाना बंद था। रात करीब 9:30 बजे कारखाने में आग लग गई। आग को बढ़ता देख इमारत में रह रहे परिवार के लोग जान बचाकर भागे।
कानपुर के चमनगंज की गलियों में आग की विभीषिका को देखने के बाद वहां खड़े लोगों की जुबान पर एक ही सवाल था कि घनी आबादी वाली सकरी गलियों में चल रहे इन कारखानों के संचालन की अनुमति विभाग कैसे दे देते हैं? विभागों के जिम्मेदार अधिकारियों को क्यों नहीं दिखता कि नीचे कारखाने चल रहे हैं और ऊपर परिवार रह रहे हैं।
मानकों को ताक पर रखकर बनाए गए इन छह मंजिला इमारतों का नक्शा पास करते समय केडीए और नगर निगम के अधिकारियों की क्या मजबूरियां होती हैं, अगर ये इमारतें अवैध रूप से तान दी गई हैं तो इनको सील करने के लिए विभागों ने कार्रवाई क्यों नहीं की।