सूर्यवंशी समुदाय के पूर्वजों ने मंदिर पर हमले के बाद शपथ ली थी कि जब तक मंदिर का पुनर्निर्माण नहीं हो जाता, वे अपने सिर पर फेटा नहीं बांधेंगे, सिर को छतरियों से नहीं ढकेंगे और चमड़े के जूते नहीं पहनेंगे। अयोध्या के अलावा पड़ोसी जिले बस्ती के 105 गांवों में सूर्यवंशी क्षत्रिय रहते हैं। ये सभी ठाकुर परिवार खुद को राम का वंशज मानते हैं। राम मंदिर निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अयोध्या के इन गांवों में काफी उत्साह है|
सरायरासी गांव के रहने वाले बासदेव सिंह वकील हैं| उन्होंने कहा कि कोर्ट के फैसले के बाद सरायरासी में अब तक 400 पगड़ियां बांटी जा चुकी हैं| हमारे समाज के करीब डेढ़ लाख लोग आस-पास के गांवों में रहते हैं। इतने सालों से सूर्यवंशी क्षत्रिय शादी-ब्याह में भी पगड़ी नहीं पहनते हैं। फरमान के मुताबिक किसी भी आयोजन और पंचायत में सिर खुला रखते हैं।
अयोध्या में भारती कथा मंदिर के महंत ओमश्री भारती ने कहा कि सूर्यवंशियों ने कभी भी अपने सिर पर फेटा और चमड़े की पायल नहीं पहनी,जैसा कि उन्होंने शपथ ली थी। सूर्यवंशी क्षत्रियों के परिवार अदालत के फैसले से खुश हैं और वे एक भव्य मंदिर के निर्माण की आशा कर रहे हैं।
अयोध्या के निवासी महेंद्र प्रताप ने कहा, “हमने अपने भगवान राम को वर्षों तक तंबू में देखा है और दर्द अवर्णनीय है। अपने प्यारे भगवान राम को इस तरह तंबू में देखना बहुत दर्दनाक क्षण था।” हम हिंदुओं की यही समस्या है, हम संगठित नहीं हो पाते| महेंद्र प्रताप ने कहा कि हम खुद घर में रह रहे हैं, लेकिन किसी को इस बात का गम नहीं है कि हमारे अपने टेंट में रह रहे हैं| अंत में उन्होंने कहा कि 5 अगस्त के बाद भी माहौल वैसा ही है| रामायण और सुन्दरकाण्ड का पाठ आज भी किया जाता है। लोग अभी भी भगवान राम के भजन गा रहे हैं और जश्न मना रहे हैं|
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीपी सिंह के अनुसार, उनके पूर्वजों ने मंदिर को बचाने के लिए 16वीं शताब्दी में ठाकुर गज सिंह के नेतृत्व में मुगलों से युद्ध लड़ा था। इसके बाद गज सिंह ने पगड़ी और आभूषण न पहनने की शपथ ले ली| इस पर कवि जयराज ने लिखा था कि ”जन्मभूमि बच गयी. छटा पग पनहीं और ना बंधिन पग।” (‘जिस दिन मातृभूमि स्वतंत्र होगी वह दिन बहुत लंबा होगा। और तब तक पगड़ी और आभूषण नहीं पहनूंगा|)
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