जब भी भारत के शेयर बाजार की चर्चा होती है, कुछ गिने-चुने नाम हमेशा सामने आते हैं – ऐसे नाम जिन्होंने इस क्षेत्र का इतिहास रचा है। मोतीलाल ओसवाल उन्हीं चमकते सितारों में से एक हैं।
एक साधारण मध्यवर्गीय परिवार में जन्मे मोतीलाल जी ने कठिन परिश्रम, गहन अध्ययन और दूरदर्शिता के बल पर असाधारण ऊंचाइयों को छुआ। उन्होंने “मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज” की स्थापना की, जो आज देश की प्रमुख निवेश कंपनियों में से एक है। मैं वर्षों से उनकी यात्रा को करीब से देखता आ रहा हूँ।
राजस्थान के एक छोटे से गांव से निकलकर, शिक्षा के लिए वे मुंबई पहुँचे। महज 24 वर्ष की उम्र में उन्होंने चार्टर्ड अकाउंटेंट की डिग्री प्राप्त की और एक ब्रोकरेज फर्म में काम करना शुरू किया। लेकिन नौकरी करना उनका सपना नहीं था। कुछ अलग करने की चाह में उन्होंने 1987 में रामदेव अग्रवाल के साथ साझेदारी में अपनी कंपनी की शुरुआत की।
गुणवत्ता, शोध और विश्वास – उनकी सफलता के तीन स्तंभ हैं:-
वे शुरू से मानते थे कि ब्रोकरेज से अधिक महत्त्वपूर्ण रिसर्च होता है। इस विचार के साथ उन्होंने कंपनी को रिसर्च-आधारित संस्था के रूप में खड़ा किया। उनका मानना है, “निवेश मतलब किसी व्यवसाय में भागीदारी – यह एक भावनात्मक नहीं, बल्कि बौद्धिक निर्णय होना चाहिए।”
1995 में उन्होंने “QGLP” सिद्धांत प्रस्तुत किया – Quality, Growth, Longevity, Price। इसी आधार पर उन्होंने कई कंपनियों में दीर्घकालिक निवेश कर अत्यधिक लाभ अर्जित किया।
धीरे-धीरे उन्होंने अपनी सेवाओं को IPO, म्यूचुअल फंड, वेल्थ मैनेजमेंट और प्राइवेट इक्विटी जैसे क्षेत्रों में भी विस्तार दिया।
मोतीलालजी का निवेश दर्शन बेहद स्पष्ट और ठोस है। उन्होंने कभी तात्कालिक ट्रेडिंग को बढ़ावा नहीं दिया। उनका सिद्धांत है – “Buy Right, Sit Tight”।
मोतीलाल ओसवाल को कई प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं, जैसे:-
व्यक्तिगत जीवन में वे बेहद सरल, विनम्र और आध्यात्मिक व्यक्ति हैं। सनातन धर्म में उनकी गहरी आस्था है। योग, ध्यान और भारतीय दर्शन उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं।
वे कहते हैं :–
उनका जीवन युवाओं के लिए एक प्रेरणा है – चाहे वे निवेशक हों या उद्यमी। अनुशासन, धैर्य, मूल्याधारित सोच और निरंतरता – यही उनके मूलमंत्र हैं।
उनकी महानता के बारे में जब मेरे शब्द कम पड़ते हैं, तो मैं उन महान हस्तियों के शब्दों का सहारा लेता हूँ जिन्होंने उनके बारे में अपने विचार व्यक्त किए हैं।
स्वर्गीय राकेश झुनझुनवाला, जिन्हें भारत का वॉरेन बफेट कहा जाता है, अक्सर कहते थे –
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