बैंगलोर स्थित भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान ने दृश्यमान उत्सर्जन लाइन कोरोनो ग्राफ पेलोड के विकास में महत्वपूर्ण कार्य किया है। सौर पराबैंगनी इमेजिंग टेलीस्कोप इस मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है। इसके लिए पुणे के इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स ने पहल की है। यू.आर.राव सैटेलाइट सेंटर में निर्मित उपग्रह दो सप्ताह पहले आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में इसरो के स्पेसपोर्ट पर पहुंच गया है। बताया गया है कि सैटेलाइट को 2 सितंबर को पीएसएलवी के जरिए सूर्य की ओर भेजा जाएगा|
मिशन सौर तूफानों और अंतरिक्ष के मौसम पर उनके प्रभाव का अध्ययन करेगा। अंतरिक्ष यान के साथ भेजे गए चार पेलोड (चार उपकरण) सूर्य की गतिविधियों का अध्ययन करेंगे। यह मिशन कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन, प्री-फ्लेयर और फ्लेयर गतिविधि, इसकी विशेषताओं, जलवायु पर इसके प्रभावों को समझने के लिए महत्वपूर्ण होगा।भारत पहली बार आदित्य एल-1 मिशन के जरिए सूर्य का अध्ययन करेगा। लेकिन, दुनिया भर में कुछ देश ऐसे भी हैं, जो कई साल पहले ही सोलर मिशन चला चुके हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 1960 में सूर्य का अध्ययन करने के लिए पहला मिशन लॉन्च किया था। 1969 तक अमेरिका ने सूर्य की ओर कुल 6 अंतरिक्ष यान भेजे थे। इनमें से 5 मिशन सफल रहे|