मोरबी त्रासदी को लेकर एक अहम अपडेट सामने आया है| 143 साल पुराने इस सस्पेंशन ब्रिज के जीर्णोद्धार के लिए 2 करोड़ रुपये दिए गए थे, लेकिन ओरवा कंपनी ने इसका सिर्फ 12 लाख यानी 6 प्रतिशत ही इस्तेमाल किया है| जांच के दौरान यह भी मामला सामने आई है।
30 अक्टूबर को माच्छू नदी पर बना सस्पेंशन ब्रिज गिर गया। उस समय पुल पर 500 से 600 लोग सवार थे। तो इस हादसे में 135 लोगों की मौत हो गई है। ओरेवा कंपनी को इस सस्पेंशन ब्रिज के नवीनीकरण का काम सौंपा गया था। साथ ही पुल के रखरखाव की जिम्मेदारी भी इसी कंपनी के पास थी। कंपनी ने नगर पालिका के साथ 15 साल का अनुबंध किया था। पुल को गुजराती नव वर्ष के अवसर पर नागरिकों के लिए खोल दिया गया था। छह माह पूर्व पुल का जीर्णोद्धार किया गया था।
गुजरात सरकार ने हादसे की जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी बनाई है। जांच समिति का नेतृत्व पुलिस महानिरीक्षक करते हैं। पुलिया के तारों में जंग लग गया था। पुल पर्यटकों के लिए खोला जाना चाहिए, यह इतनी मजबूत स्थिति में नहीं था, ‘फोरेंसिक रिपोर्ट में भी खुलासा हुआ है। जांच अधिकारी ने कहा कि ठेकेदार ने न तो केबल बदली थी, न ही उन पर तेल लगाया गया था।
पुल के जीर्णोद्धार के बाद कंपनी के चेयरमैन जयसुख पटेल के परिजनों ने 24 अक्टूबर को पुल का भ्रमण किया| ओरेवा ने नवीनीकरण को देवप्रकाश सॉल्यूशंस को सब-कॉन्ट्रैक्ट किया था। जांचकर्ताओं ने यह भी पाया कि उप-ठेकेदार के पास ऐसे काम के लिए आवश्यक तकनीकी जानकारी का अभाव था। देवप्रकाश सॉल्यूशंस से जब्त किए गए दस्तावेजों में पुल की मरम्मत पर खर्च की गई राशि का जिक्र है।
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