सितंबर 2024 में सालढाना समेत 10 गांवों के सरपंच एकजुट हुए। उनकी ‘अदालत’ बैठी और ‘गुनाह’ तय हुआ – एक गैर-आदिवासी का आदिवासी महिला से विवाह। सजा भी तुरंत सुना दी गई – मोटा जुर्माना और सामाजिक बहिष्कार का खौफ।
शादी को सालभर हो गया, लेकिन पंचायत का ‘इंसाफ’ अभी बाकी है। एक साल बीतने के बाद भी जब उपसरपंच ने जर्माना राशि अदा नहीं की तो पंचायत की तरफ से ही बिरजू पिता जहरलाल जनसुनवाई में पहुंच गए और प्रशासन से गुहार लगाई – हुजूर, हमारा जुर्माना वसूल करवाओ! जनसुनवाई में अधिकारियों ने मामले की गंभीरता को समझा है और जांच के आदेश दे दिए हैं। सूत्रों की मानें तो अगर पंचायत का यह आदेश गैरकानूनी निकला, तो सरपंचों पर गाज गिरना तय है।
सालढ़ाना पंचायत के सरपंच पति सुरेंद्र ने बताया कि दस गांव की पंचायत ने सर्वसम्मति से ये फैसला सुनाया था, जिसकी जुर्माना राशि अभी तक नहीं मिल सकी है। उपसरपंच उरदलाल पिता हंसराज ने बताया कि मैंने आदिवासी महिला से विवाह किया था। दोनों की मर्जी थी। मैं जुर्माने की राशि देने की स्थिति में नहीं हूं।
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