चुनाव में बेचने के लिए तमंचे व बंदूक बनाते समय तीन आरोपियों को बुढ़ाना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। तीनों आरोपी विज्ञाना गांव के जंगल में खंडहर में तमंचे बना रहे थे। 20 बने व अधबने तमंचे, 4 बंदूक और अन्य उपकरण बरामद किए।
बता दें कि पुलिस के अनुसार गिरोह का सरगना शाहरुख कुछ दिन पहले ही दुबई से आया है। गिरोह तीन माह में 50 से अधिक तमंचे वेस्ट यूपी में बेच चुका है। आरोपियों में शाहरुख और गुफरान निवासी पिठलौखर सरधना मेरठ और जावेद, निवासी नंगला रतनपुरी मुजफ्फरनगर हैं।
गिरोह का सदस्य मेरठ के शेरगढ़ी निवासी दीपांशु अभी तक नहीं मिला है। आरोपी शाहरुख डेरी, गुफरान वेल्डर व जावेद दिखाने के लिए खेत में मजदूरी करते थे। सभी दस व 12वीं कक्षा तक शिक्षित हैं। एसएसपी ने पुलिस टीम को 20 हजार रुपये का इनाम देने की घोषणा की। बुढ़ाना कोतवाली प्रभारी आनंद देव मिश्र सहित पूरी पुलिस टीम को सम्मानित भी किया। इस दौरान एसपी देहात आदित्य बंसल व सीओ बुढ़ाना भी मौजूद रहे।
एसएसपी संजय कुमार वर्मा ने बताया कि गुफरान पहले भी शस्त्र फैक्टरी चलाने के आरोप में जेल गया था। कुछ दिन पहले ही जमानत पर आया है। दो-तीन माह में इस गिरोह ने पांच से दस लाख रुपये कमाए हैं। उनके खाते चेक किए जा रहे हैं। तमंचे बिकवाने में दो तीन और लोगों का पता चला है, उन्हें भी पकड़ा जाएगा।
पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि गिरोह जगह-बदल बदल कर तमंचे बनाता हैं। मांग के आधार पर तमंचे सप्लाई करते थे। तमंचों का निर्माण कर मेरठ निवासी दिपांशु को देते हैं। वह उन्हें ऊंचे दामों पर बेचता है। मुनाफे को सभी लोग बांट लेते हैं। चुनाव के समय तमंचों की मांग बढ़ जाती है। इस दौरान मोटी रकम लेकर तमंचों की बिक्री की जाती है।
चुनाव के समय के लिए ही तमंचे बनाकर एकत्र कर रहे थे, जिन्हें मुजफ्फरनगर, मेरठ व आस-पास के जिलों में बेचा जाता। दो-तीन माह में ही मुजफ्फरनगर, मेरठ, गाजियाबाद, शामली व हरिद्वार में 50 से ज्यादा तमंचे बेच दिए।
गुफरान उर्फ पप्पू व जावेद अवैध शस्त्र फैक्टरी चलाने के बारे में पहले भी जेल जा चुके हैं। लगभग छह माह पूर्व शाहरुख दुबई से वापस आया था। सभी आपस में दोस्त हैं। मुलाकात होने पर शाहरुख ने बताया कि उसके पास तमंचा, बंदूक व पिस्टल खरीदने के काफी ग्राहक हैं। तमंचे बना व बेच कर काफी पैसा मिलेगा। इसी के चलते वह तीनों तमंचे बनाने लगे।
गिरफ्तार तीनों आरोपी शेरगढी मेरठ निवासी दीपांशु व अन्य साथियों को तमंचे बेच देते थे। उनके कुछ साथी जेल में हैं। दीपांशु उनसे तमंचा तीन हजार व बंदूक सात हजार रुपये में खरीदता था। वह तमंचा पांच हजार से छह हजार व बंदूक 10 से 15 हजार रुपये में बेचता था। विश्वासपात्रों को ही तमंचे, पिस्टल व बंदूक की बिक्री की जाती है।
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