भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा संयुक्त रूप से विकसित पृथ्वी अवलोकन उपग्रह ‘निसार’ (NISAR)को 30 जुलाई को लॉन्च किया जाएगा। इस महत्वपूर्ण उपग्रह को भारत निर्मित जीएसएलवी-एफ16 रॉकेट के माध्यम से अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इसरो के अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने चेन्नई हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बातचीत में यह जानकारी दी। इसी के साथ डॉ। नारायणन ने आने वाले समय में इसरो के चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5 की भी जानकारी दी है।
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उन्होंने बताया कि यह उपग्रह 740 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया जाएगा और यह एक उन्नत रडार सिस्टम से लैस होगा जो बादलों, बारिश और अंधकार के बावजूद दिन-रात धरती की सटीक तस्वीरें लेने में सक्षम होगा। यह उपग्रह भूस्खलन, आपदा प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
डॉ. नारायणन ने कहा, “यह उपग्रह न सिर्फ भारत और अमेरिका के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए उपयोगी साबित होगा।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इसरो क्षेत्रीय सीमाओं के आधार पर कार्य नहीं करता, बल्कि पूरे देश और मानवता की आवश्यकताओं के अनुरूप शोध करता है।
इस मौके पर डॉ. नारायणन ने आदित्य एल1 मिशन का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि, “26 जनवरी को लॉन्च किए गए इस मिशन से सूर्य संबंधी महत्वपूर्ण डेटा प्राप्त हो चुका है, जिसका वैज्ञानिक विश्लेषण जारी है।” मानव अंतरिक्ष मिशन की तैयारियों की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि इस साल दिसंबर में पहला मानवरहित परीक्षण मिशन लॉन्च किया जाएगा। यदि यह सफल रहा, तो 2026 में दो और मानवरहित मिशन होंगे। इसके बाद मार्च 2027 में पहला भारतीय मानवयुक्त मिशन लॉन्च किया जाएगा। इसके लिए श्रीहरिकोटा में आवश्यक बुनियादी ढांचा तैयार किया जा रहा है।
डॉ. नारायणन ने बताया कि चंद्रयान-4 मिशन के जरिए चंद्रमा से नमूने लाने का प्रयास किया जाएगा और इसरो इसके लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है। वहीं, चंद्रयान-5 भारत और जापान का संयुक्त प्रोजेक्ट होगा जो चंद्रमा पर लगातार 100 दिन तक कार्य करेगा। इसरो फिलहाल 55 सक्रिय उपग्रहों का उपयोग कर रहा है और अगले चार वर्षों में इन उपग्रहों को तीन भागों में पुनर्गठित करने की योजना है ताकि कार्यक्षमता और कनेक्टिविटी में सुधार किया जा सके।
इन सभी मिशनों की जानकारी देते हुए इसरो प्रमुख ने कहा कि भारत अब अंतरिक्ष अनुसंधान में वैश्विक नेतृत्व की दिशा में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि, “ये मिशन न केवल भारत की वैज्ञानिक ताकत को मजबूत करते हैं, बल्कि वैश्विक समुदाय को भी पर्यावरण, आपदा प्रबंधन और जलवायु संकट से निपटने में सहयोग प्रदान करते हैं।”
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