पीड़ित कारोबारी को सबसे पहले वाट्सएप पर एक ग्रुप में जोड़ा गया। इस ग्रुप का एडमिन खुद को आईपीओ विशेषज्ञ बताते हुए निवेश पर दोगुना मुनाफे का दावा कर रहा था। शुरुआत में कारोबारी ने शक के चलते थोड़ी राशि निवेश की, जिस पर उन्हें लाभ भी मिला। इससे उनका विश्वास पक्का हो गया और उन्होंने ठगों द्वारा सुझाए गए एक विशेष ऐप को अपने फोन में डाउनलोड कर लिया। ऐप पर निवेश की गई रकम तेजी से बढ़ती हुई दिखाई देने लगी, जो दरअसल एक आभासी ग्राफ था और इसका असलियत से कोई लेना-देना नहीं था।
इस तरह धीरे-धीरे प्रशांत चौबे ने कई किस्तों में कुल 35 लाख 25 हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए। जब उन्होंने रकम निकालने की कोशिश की, तो ठगों ने और पैसे निवेश करने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। मना करने पर उन्हें ग्रुप से निकाल दिया गया और संपर्क भी समाप्त कर दिया गया।
कुछ खाते किराए पर लिए गए होने की आशंका जताई जा रही है। साथ ही, जिन खातों में पैसा गया है, उनकी जानकारी जुटाई जा रही है। फिलहाल पुलिस ने 3.5 लाख रुपये की रकम को फ्रीज कर लिया है और बाकी राशि को भी ट्रेस करने का प्रयास जारी है।
दिल्ली में 36 बांग्लादेशी नागरिक पकड़े गए, फोन में मिला प्रतिबंधित ऐप!



