एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि भारत में कभी मुस्लिम वोट बैंक नहीं था और ना रहेगा, हमेशा से हिन्दू वोट बैंक था, है और रहेगा। उक्त बातें उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में आयोजित एक सभा में कही। ओवैसी ने इस बयान का वीडियो भी अपने ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट किया। ओवैसी ने कहा कि 2014 के चुनाव में मजलिस नहीं लड़ी तो फिर बीजेपी कैसे जीत गई?
2017 में विधानसभा चुनाव में मजलिस 25-27 सीट लड़ी और बीजेपी ने 300 सीटों पर जीत दर्ज की। 2019 में लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा मिलकर लड़े और सिर्फ 15 सीट जीते। कैसे बाकी सीटों पर बीजेपी जीती? ओवैसी ने कहा कि भारत की सियासत में मुसलमानों के वोट बैंक की अहमियत नहीं रही। भारत में मुस्लिम कभी वोट बैंक नहीं रहा। मैंने संसद में खड़े होकर कहा था, भारत में हमेशा हिंदू वोट बैंक ही वोट बैंक रहेगा। वोट बैंक की सियासत हमेशा मुस्लिम वोट कहा जाता है। अगर मुस्लिम वोट बैंक होता तो भारत की संसद में सिर्फ 23-24 संसद जीतकर क्यों पहुंचते।
AIMIM चीफ ने कहा, ‘अगर मुझसे कोई नफरत रखता है तो मैं कहता हूं कि मैं कोई मुस्लिम नेता नहीं हूं, न ही मुसलमानों का नेता बनने की मेरी ख्वाहिश है। मैं चाहता हूं कि हमारे बुजुर्गों ने जिस देश के लिए, जिस सरजमीं के लिए अपनी कुर्बानी दी है, उसी सरजमीं को हमारे खून की अहमियत नहीं है। हमें अपने अधिकारों के लिए भीख मांगनी पड़ रही है।’
आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के चीफ ने कहा कि मुस्लिम समाज को अब कांग्रेस, सपा और बसपा जैसे अवसरवादी दलों के बहकावे में नहीं आना चाहिए। क्योंकि इन दलों ने मुसलमानों के वोट का इस्तेमाल केवल अपने राजनीतिक लाभ के लिए किया है। ओवैसी ने कहा कि मुसलमानों को अपना सियासी नेतृत्व तैयार करना होगा क्योंकि जिसके पास ताकत होती है उसी की सुनी जाती है।