लखनऊ। यूपी की सियासत में अब बड़ा मोड़ आया है और अयोध्या उस मोड़ का बड़ा स्टॉपेज बनकर उभरी है। बसपा से लेकर सपा तक के नेता अब अयोध्या जा रहे हैं। बीते सप्ताह शुक्रवार को बसपा के महासचिव सतीश चंद्र मिश्र ने यूपी में ब्राह्मणों को लुभाने के लिए प्रबुद्ध सम्मेलन की शुरुआत अयोध्या से ही की। इससे समझा जा सकता है कि बीएसपी ने भी अब अयोध्या के धार्मिक और सामाजिक महत्व को समझने की कोशिश शुरू कर दी है।
प्रबुद्ध सम्मेलन में जय श्री राम के नारों की भी गूंज सुनाई दी। साफ था कि बसपा का सम्मेलन ही अयोध्या में नहीं हो रहा है बल्कि वह यहां के परिवेश में भी खुद को ढला हुआ दिखाने का प्रयास कर रही है। इसके बाद रविवार को बारी थी यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की। वह अयोध्या पहुंचे और विकास कार्य की चल रही परियोजनाओं को जायजा लिया। यही नहीं सोमवार को एक बार फिर से यूपी के डिप्टी सीएम दिनेश चंद्र शर्मा पहुंचे और सरकारी अधिकारियों से बात करके विकास कार्यों का जायजा लिया।
इस बात की भी चर्चा है कि 2022 में सीएम योगी आदित्यनाथ यहीं से विधानसभा का चुनाव लड़ सकते हैं। शायद यही वजह है कि अब दूसरी पार्टियों ने भी अयोध्या का रुख किया है और वे यह जताना चाहती हैं कि वे इससे अछूती नहीं हैं। बीजेपी सरकार अयोध्या को नए विकसित शहर के तौर पर प्रोजेक्ट करने की कोशिश में है। अयोध्या में नए इंटरनेशनल एयरपोर्ट, वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन और रामायण सर्किट के तहत अन्य कई प्रोजेक्ट्स को बीजेपी सरकार ने अपने दौर में आगे बढ़ाया है।
जून में खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में यूपी सरकार की ओर से किए गए विकास कार्यों की समीक्षा की थी। अकसर भगवान राम के समक्ष कृष्ण को खड़ा करने की राजनीति करने वाली समाजवादी पार्टी भी अब अयोध्या पर फोकस कर रही है। समाजवादी पार्टी के नेता और अयोध्या के पूर्व विधायक पवन पांडेय ने कहा, ‘संसद के सत्र के बाद हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पूरे राज्य का दौरा शुरू करेंगे और अयोध्या भी आएंगे।’