एनआईएच की रिपोर्ट के मुताबिक, पोलियो वायरस एक 12 महीने के बच्चे में पाया गया है, जो तोरघर के गरी यूनियन काउंसिल का रहने वाला है।
पोलियो के इन मामलों में सबसे ज्यादा 19 केस खैबर पख्तूनख्वा से हैं। इसके अलावा, 9 मामले सिंध से और एक-एक मामला पंजाब और पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान से सामने आया है।
पाकिस्तान पोलियो प्रोग्राम ने सितंबर महीने में पूरे देश के 87 जिलों से 127 सीवेज के नमूने इकट्ठा किए थे ताकि यह जांचा जा सके कि पोलियो वायरस कहां-कहां फैल रहा है। इनमें से 81 नमूनों में वायरस नहीं मिला, लेकिन 44 नमूनों में पोलियो वायरस की पुष्टि हुई है।
गौरतलब है कि वर्तमान समय में केवल पाकिस्तान और अफगानिस्तान ही दो ऐसे देश बचे हैं, जहां वाइल्ड पोलियो वायरस (प्राकृतिक रूप से फैलने वाला पोलियो वायरस) अभी भी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है।
एक और बड़ी समस्या जो पोलियो अभियान के लिए गंभीर खतरा बनी हुई है, वह है पोलियो टीमों पर लगातार होने वाले हमले। हाल ही में 15 अक्टूबर को खैबर पख्तूनख्वा के निजामपुर इलाके में पोलियो टीम की सुरक्षा में तैनात एक पुलिस कांस्टेबल पर अज्ञात हमलावरों ने गोली चला दी। इस हमले में कांस्टेबल मकसूद की मौत हो गई। वह खैबर जिले के खेशगी गांव का रहने वाला था।
पुलिस के अनुसार, जब महिला स्वास्थ्यकर्मी एक घर में बच्चों को पोलियो की खुराक दे रही थीं, इस दौरान कांस्टेबल मकसूद पर हमला किया गया। हमलावर घटना के बाद भाग निकले।
इससे एक दिन पहले, यानी 14 अक्टूबर को, स्वात जिले में भी इसी तरह का एक और दर्दनाक हादसा हुआ। वहां पोलियो टीम की सुरक्षा में तैनात एक कांस्टेबल को गोली मार दी गई। स्वात के जिला पुलिस अधिकारी (डीपीओ) मुहम्मद उमर खान ने बताया कि जब अचानक हमला हुआ, तब वह कांस्टेबल भी दो महिला स्वास्थ्यकर्मियों के साथ अपनी ड्यूटी पर था।
आयुर्वेद दिवस राष्ट्रीय पर्व से बढ़कर विश्व स्वास्थ्य आंदोलन बन गया!



