रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से विश्व बाजार में कच्चे तेल (ब्रेंट क्रूड) के दाम गुरुवार को 115 डॉलर प्रति बैरल को पार हो गया। ऐसे में आने वाले दिनों में भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ना लगभग तय माना जा रहा है। गत 120 दिनों से देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गई है, जबकि कच्चे तेल की कीमत करीब 70 प्रतिशत बढ़े हुए हैं।
भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों और चुनावी माहौल का ट्रेंड बताता है कि मोदी सरकार विधानसभा चुनावों से ठीक पहले पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी से बचती रही है। हालांकि चुनाव खत्म होते ही वह कीमतों को बढ़ाने में देर नहीं करती। फिलहाल देश में उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे है। इसके नतीजे 10 मार्च को आएंगे। इसी वजह से अगले हफ्ते से दाम बढ़ने के अनुमान लगाए जा रहे हैं। विश्लेषण यह भी कहता है कि पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी एक बार में न होकर, प्रतिदिन थोड़ी-थोड़ी होगी।
इसलिए पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 20-25 रुपए तक की बढ़ोतरी हो सकती है। रेटिंग एजेंसी इक्रा के वाइस प्रेसिडेंट और को-ग्रुप हेड प्रशांत वशिष्ठ के मुताबिक, कच्चा तेल 1 डॉलर प्रति बैरल महंगा होने पर देश में पेट्रोल-डीजल के दाम औसतन 55-60 पैसे प्रति लीटर बढ़ जाते हैं।
कच्चे तेल के दाम चढ़ने से सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों- इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम को पेट्रोल-डीजल पर 5-6 रुपए प्रति लीटर का घाटा उठाना पड़ रहा है। क्रूड के दाम लगातार बढ़ने से कंपनियों का घाटा भी लगातार बढ़ रहा है। एक्सपर्ट क्रूड ऑयल के 150 डॉलर तक पहुंचने का अनुमान लगा रहे हैं।
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