कनाडा की राजनीति में 2025 का आम चुनाव एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ है, खासकर न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) और उसके नेता जगमीत सिंह के लिए। लंबे समय से वामपंथी राजनीति और खालिस्तान समर्थन के चलते चर्चा में रहे जगमीत सिंह को जनता ने इस चुनाव में पूरी तरह नकार दिया। चुनाव परिणामों के अनुसार, उनकी पार्टी NDP संसद में सिर्फ 8 सीटें ही हासिल कर पाई है, जिससे पार्टी अब आधिकारिक दर्जा भी गंवा चुकी है।
यह हार न केवल पार्टी की राजनीतिक ताकत पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि एक खास विचारधारा को नकारने का जनादेश भी प्रतीत होती है, जो भारत विरोधी रुख और खालिस्तानी झुकाव से जुड़ी रही है।
जगमीत सिंह ने हार स्वीकार करते हुए पार्टी के अंतरिम नेता की नियुक्ति के बाद पद छोड़ने की घोषणा कर दी है। उन्होंने कहा, “हम तभी पराजित होते हैं जब हम उन लोगों की बातों पर विश्वास करते हैं जो कहते हैं कि हम कभी एक बेहतर, न्यायपूर्ण और अधिक सहानुभूतिपूर्ण कनाडा का सपना नहीं देख सकते।” सिंह ने इसे अपने राजनीतिक जीवन का कठिन दौर बताया, लेकिन उनकी विदाई को पार्टी के भीतर भी राहत की तरह देखा जा रहा है।
कनाडा की संसदीय प्रणाली में आधिकारिक पार्टी बनने के लिए कम से कम 12 सीटें जरूरी होती हैं। NDP की सीटें घटकर 8 रह जाने के कारण पार्टी को अब संसदीय फंडिंग, हाउस ऑफ कॉमन्स में बोलने का समय और समिति प्रतिनिधित्व जैसे कई विशेषाधिकारों से वंचित होना पड़ेगा। इससे पार्टी की आगे की राजनीति और रणनीति दोनों प्रभावित होंगी।
विश्लेषकों का मानना है कि इस बार मतदाताओं ने साफ तौर पर कट्टरपंथ और विभाजनकारी विचारधारा को खारिज किया। जगमीत सिंह की खालिस्तान समर्थक छवि और भारत विरोधी बयानबाज़ी ने न केवल भारतीय मूल के कनाडाई मतदाताओं को नाराज़ किया, बल्कि मुख्यधारा के कई कनाडाई वोटरों ने भी उन्हें राजनीतिक रूप से अविश्वसनीय मान लिया। इसके विपरीत, कंज़र्वेटिव नेता पियरे पोइलीवरे और लिबरल नेता मार्क कार्नी ने स्थिरता और विकास को चुनावी मुद्दा बनाया, जिससे उन्हें जनता का व्यापक समर्थन मिला।
पूर्व बैंक ऑफ कनाडा गवर्नर और अब लिबरल पार्टी नेता मार्क कार्नी की नेतृत्व में पार्टी ने सबसे अधिक सीटें हासिल कीं, हालांकि पूर्ण बहुमत से वे दूर रहे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कनाडा विरोधी टिप्पणियों और व्यापारिक दबावों के बीच कार्नी ने राष्ट्रवाद और आर्थिक स्थिरता को केंद्र में रखकर चुनाव लड़ा, जिससे उन्हें फायदा मिला।
संसदीय ताकत और नेतृत्व खो चुकी NDP अब एक असमंजस की स्थिति में है। पार्टी को पुनर्निर्माण की दिशा में गंभीर प्रयास करने होंगे—आदर्शों की पुनर्समीक्षा, नेतृत्व का कायाकल्प और एक समावेशी नीति निर्माण की आवश्यकता है। वरना आने वाले वर्षों में पार्टी पूरी तरह राजनीतिक हाशिए पर जा सकती है।
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