नई दिल्ली। पीएम मोदी ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर एक वीडियो संदेश जारी कर देशवासियों को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल ने देशहित को हमेशा ऊपर रखा। उन्होंने कहा कि एक भारत का स्वरूप क्या होना चाहिए ? एक ऐसा भारत जिसमें महिलाओं को भी समान अवसर हों। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सरदार पटेल हमारे देश को एक शरीर के रूप में देखते थे, एक जीवंत इकाई के रूप में देखते थे।
पीएम मोदी ने कहा, आज सरदार पटेल की प्रेरणा से भारत, बाहरी और आंतरिक हर प्रकार की चुनौतियों से निपटने में पूरी तरह से सक्षम हो रहा है। उन्होंने कहा कि भारत सिर्फ एक भौगोलिक इकाई नहीं है बल्कि आदर्शों, संकल्पनाओं, सभ्यता-संस्कृति के उदार मानकों से परिपूर्ण राष्ट्र है। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि धरती के जिस भू-भाग पर हम 130 करोड़ से अधिक भारतीय रहते हैं, वो हमारी आत्मा का, हमारे सपनों का, हमारी आकांक्षाओं का अखंड हिस्सा है। सरदार पटेल हमेशा चाहते थे कि भारत सशक्त हो, समावेशी भी हो, संवेदनशील हो और सतर्क भी हो, विनम्र हो, विकसित भी हो। मोदी ने कहा कि सरदार पटेल ने देशहित को हमेशा सर्वोपरि रखा।
India isn't just a geographical unit. It's a nation that's full of the standards of ideals, resolutions, civilisation, culture. The land where we 135 crore Indians live, is an integral part of our soul, our dreams, our aspirations: PM Narendra Modi#NationalUnityDay #SardarPatel pic.twitter.com/JTh7Evb3Ii
— ANI (@ANI) October 31, 2021
आज़ाद भारत के निर्माण में सबका प्रयास जितना तब प्रासंगिक था, उससे कहीं अधिक आज़ादी के इस अमृतकाल में होने वाला है। आज़ादी का ये अमृतकाल विकास की अभूतपूर्व गति का है, कठिन लक्ष्यों को हासिल करने का है। ये अमृतकाल सरदार साहब के सपनों के भारत के नवनिर्माण का है। उन्होंने कहा कि आज से कई दशक पहले उस दौर में भी उनके आंदोलनों की ताकत ये होती थी कि उनमें महिला-पुरुष, हर वर्ग, हर पंथ की सामूहिक ऊर्जा लगती थी। आज जब हम एक भारत की बात करते हैं तो उस एक भारत का स्वरूप क्या होना चाहिए? – एक ऐसा भारत जिसकी महिलाओं के पास एक से एक अवसर हों।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सरदार पटेल हमारे देश को एक शरीर के रूप में देखते थे, एक जीवंत इकाई के रूप में देखते थे। इसलिए उनके ‘एक भारत’ का मतलब ये भी था कि जिसमें हर किसी के लिए एक समान अवसर हों, एक समान सपने देखने का अधिकार हो।