इस जल्लीकट्टू प्रतियोगिता में तंजावुर, त्रिची, शिवगंगा, थेनी, डिंडीगुल सहित तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों से 850 बैल और 350 बुलफाइटर्स ने हिस्सा लिया। बुलफाइटर्स ने बैलों के कूबड़ को पकड़कर उन्हें नियंत्रित करने की कोशिश की। यह पारंपरिक खेल न केवल ताकत और साहस का प्रदर्शन है, बल्कि तमिल संस्कृति का अभिन्न हिस्सा भी है।
प्रतियोगिता की सुरक्षा के लिए अलंगडी पुलिस उपाधीक्षक दीपक रजनी के नेतृत्व में 200 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए। इसके अलावा, स्वास्थ्य विभाग, राजस्व विभाग, पशुपालन विभाग और अग्निशमन विभाग ने मिलकर आयोजन को सुचारू रूप से चलाने में योगदान दिया। बैलों और बुलफाइटर्स की सुरक्षा के लिए सभी का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। आयोजन स्थल पर मेडिकल टीमें और आपातकालीन सुविधाएं भी मौजूद थीं।
इस जल्लीकट्टू ने हजारों दर्शकों को आकर्षित किया, जो उत्साह के साथ इस पारंपरिक खेल का आनंद लेने पहुंचे। मैदान में बैलों को काबू करने की कोशिश करते बुलफाइटर्स के साहसिक प्रदर्शन ने सभी का मन मोह लिया। यह स्थानीय समुदाय की वीरता और सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है।
बिहार: पीके पर दिलीप जायसवाल का तंज, बोले- नहीं बची चुनौती!