लखनऊ। पिछले कुछ दिनों में कई दल के नेताओं ने अयोध्या जाकर अपनी चुनावी गतिविधियों की शुरूआत की है। इससे सियासत के गलियारे में चर्चा है कि यूपी का होंने वाला विधानसभा चुनाव हिन्दू वोटों को अपने पाले में लाने की कवायद देखी जा रही है। भाजपा तो प्रभु राम को लेकर पहले से ही चर्चा में रही है कि वह राम के नाम को लेकर चुनाव मैदान में उतरती है, पर आने वाले इस विधानसभा चुनाव में लगभग सभी राजनीतिक दल अयोध्या पहुंच रहे हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ दर्जनों बार अयोध्या पहुंचकर रामलला के दर्शन किए और कई विकास कार्यों की योजनाओं की घोषणा भी की है। मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी अयोध्या पहुंचे थे।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का अयोध्या जाना भी सुर्खियों में रहा। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बसपा के सतीश चन्द्र मिश्रा ने रामलला मंदिर में पूजा अर्चना के बाद प्रबुद्ध सम्मेंलन की शुरूआत की थी। इसके बाद उन्होंने कहा कि भगवान राम तो सबके हैं। उन्होंने कहा कि सरकार आने पर यहां का और तेज विकास होगा। समाजवादी पार्टी ने भी विधानसभा चुनाव के लिए अयोध्या को ‘लॉन्चिंग पैड’ के तौर पर इस्तेमाल किया। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस और सपा ने भी सियासी गतिविधियां तेजी से पकड़ी है। हांलांकि इन दलों के बड़े नेता अभी दरबार में हाजिरी लगाने नहीं पहुंचे। राजनीतिक विष्लेषकों की नजर इन पर लगी हुई है।
जनसत्ता लोकतांत्रिक दल की अगुवाई कर रहे बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने बीते 31 अगस्त को अयोध्या से ही यूपी के अपने चुनावी अभियान की शुरूआत करते हुए पार्टी कार्यकतार्ओं से बातचीत की। हैदराबाद से सांसद और एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी अयोध्या के धन्नीपुर क्षेत्र को अपनी चुनावी अभियान की शुरूआत की है। भाजपा प्रवक्ता अवनीष त्यागी का कहना है, “भाजपा ने तुष्टीकरण की राजनीति का अंत कर दिया है। जो विपक्षी दल तुष्टिकरण की राजनीति करके वोट के लिए समाज में विद्वैष फैला रहे थे, उनकी आंखे खोल दी है। भाजपा एक सही राह पर थी। अब विपक्षी दलों को सद्बुद्धि आ रही है। अब उन्हें मंदिर नजर आने लगा। भारतीय संस्कृतिक और मानवीय मूल्यों की अनदेखी कर रहे थे। उन्हें अब बुद्धि आने लगी है।”