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Tuesday, September 17, 2024
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रामेश्वरम कैफे बम विस्फोट प्रकरण: NIA ने दाखिल की चार्जशीट; भाजपा कार्यालय उड़ाने का था प्लान!

ताहा ने अपने हैंडलर फैसल को अल-हिंद आईएसआईएस मॉड्यूल मामले के आरोपी मेहबूब पाशा, ISIS दक्षिण भारत के अमीर खाजा मोहिदीन और बाद में माज़ मुनीर अहमद से मिलवाया।

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1 मार्च 2024 को कर्नाटक के बंगलुरु में स्थित रामेश्वरम कैफे में इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) के जरिए बम विस्फोट में शामिल आरोपियों के खिलाफ राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी (NIA) ने चार्ज शीट दाखिल की है। पूछताछ में एनआईए ने कहा है के इन आतंकियों को प्राथमिक तौर पर कर्नाटक में बेंगलुरु के मल्लेश्वरम में स्थित भारतीय जनता पार्टी के मुख्यालय को उड़ना था।

9 सितंबर को जारी की चार सीट के अनुसार मुसाफिर हुसैन शाजिब, अब्दुल मतीन अहमद ताहा, माज मुनीर अहमद और मुजम्मिल शरीफ इन चारों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल हुआ है। इन चारों पर आईपीसी, UAPA, एक्सप्लोसिव सब्सटेंस एक्ट का पीडीएलपी एक्ट के तहत धाराएं लगाई गई है।

साथी 2012 की बेंगलुरु मामले में साजिश करता के तौर पर फरार घोषित लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी मोहम्मद शाहिद फैसल का भी उल्लेख इस चार्ज शीट में किया गया है। NIA के अनुसार शाहिद फैसल ने ही आरोपियों को बम ब्लास्ट करने के निर्देश देते हुए फंड भी मुहैय्या कराया था। दरमियां शाजिब और ताहा को ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए क्रिप्टोकरंसी के माध्यम से पैसे ट्रांसफर किए गए थे।

एनआईए ने बताया जांच से पहले पता चला है कि, आरोपियों ने बेंगलुरु में हिंसा के विभिन्न गतिविधियों के लिए इस धन का इस्तेमाल किया था इसमें 22 जनवरी को अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन बंगलुरु के मल्लेश्वर में स्थित राज्य भाजपा कार्यालय पर असफल आईडी हमला शामिल है। इसके बाद दो मुख्य आरोपियों ने मिलकर रामेश्वरम कैफे में विस्फोट करने की योजना बनाई थी, जिसमें 9 लोग घायल हुए थे।

एनआईए ने कहा कि 3 मार्च को मामला संभालने के बाद, उसने कई राज्य पुलिस इकाइयों और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर कई तकनीकी और क्षेत्रीय जांच की। इसमें अल-हिंद मॉड्यूल के उजागर होने के बाद 2020 से फरार शाजिब और ताहा को 42 दिनों तक पीछा करने के बाद पश्चिम बंगाल में पकड़ा गया।

एनआईए ने आगे कहा कि, ताहा और शाजिब आईएसआईएस कट्टरपंथी थे और उन्होंने पहले सीरिया में आईएसआईएस क्षेत्रों में हिजरत करने की योजना बनाई थी। माज़ मुनीर अहमद और मुजम्मिल शरीफ ऐसे युवाओं में से थे जो अन्य भोले-भाले मुस्लिम युवाओं को आईएसआईएस विचारधारा के प्रति कट्टरपंथी बनाने में सक्रिय रूप से काम करते थे। उन्होंने धोखाधड़ी से भारतीय सिम कार्ड और भारतीय बैंक खाते प्राप्त किए और डार्क वेब से डाउनलोड किए गए विभिन्न भारतीय और बांग्लादेशी पहचान दस्तावेजों का भी उपयोग किया।

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जांच से पता चला है कि, ताहा को एक पूर्व अपराधीडी, शोएब अहमद मिर्जा ने, मोहम्मद शहीद फैसल से मिलवाया था, जो कि लश्कर-ए-तैयबा बेंगलुरु साजिश मामले में फरार था। इसके बाद ताहा ने अपने हैंडलर फैसल को अल-हिंद आईएसआईएस मॉड्यूल मामले के आरोपी मेहबूब पाशा, ISIS दक्षिण भारत के अमीर खाजा मोहिदीन और बाद में माज़ मुनीर अहमद से मिलवाया।

इस मामले में अब तक पांच को गिरफ्तार किया गया है: ताहा (मुख्य योजनाकार), मुसाविर हुसैन शाजिब (हमलावर), मुजम्मिल शरीफ (जिन्होंने सिम कार्ड और स्मार्टफोन जैसी रसद प्रदान की), माज़ मुनीर अहमद और शोएब अहमद मिर्जा, मामले की आगे की जांच जारी है।

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