दिल्ली हाईकोर्ट ने नाबालिग से बलात्कार मामले एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यौन शोषण के बाद नाबालिग और आरोपी की शादी होने या बच्चा हो जाने से अपराध की गंभीरता कम नहीं हो जाती है। वही, कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह के मामलों में नाबालिग की सहमति अप्रासंगिक है। एक मामले में नाबालिग की मां की ओर से दायर एफआईआर पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की और आरोपी को जमानत देने से भी इनकार कर दिया।
दरअसल, 15 वर्षीय नाबालिग का कुछ लोगों ने अपहरण किया था। पीड़िता जुलाई वर्ष 2019 से गायब है। पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू की और नाबालिग पीड़िता को 5 अक्टूबर 2021 को ढूढ़ निकाला। जब वह पुलिस को मिली तो लड़की शादीशुदा थी और उसे डेढ़ माह का गर्भ भी था।
बता दें कि आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 363, 376 और 366 और पॉक्सो एक्ट की धारा 4 और 5 के तहत संबंधित पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज है। दोनों पक्षों की दलीले सुनने के बाद कोर्ट ने साफ किया कि किसी भी नाबालिग के साथ संबंध बनाना निषिद्ध है भले ही इसमें पीड़िता की सहमति ही क्यों न हो। इस कारण यदि नाबालिग किसी बच्चे को जन्म देती है तो यह बलात्कार जैसे गंभीर कृत्य से कम नहीं है। दिल्ली हाईकोर्ट ने इसी आधार पर आरोपी की जमानत याचिका भी खारिज कर दी है।
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