सुप्रीम कोर्ट ने आज भ्रामक विज्ञापन मामले में योग गुरु स्वामी रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ अवमानना कार्यवाही बंद कर दी है| सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन मामले में उनके द्वारा मांगी गई माफी स्वीकार कर ली है| साथ ही अवमानना केस भी बंद कर दिया है|
बता दें कि योग गुरु, बालकृष्ण और फर्म का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता गौतम तालुकदार ने कहा, “अदालत ने रामदेव, बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड द्वारा दिए गए वचनों के आधार पर अवमानना कार्यवाही बंद कर दी है|”शीर्ष अदालत ने भ्रामक विज्ञापन मामले में योग गुरु रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को जारी अवमानना नोटिस पर 14 मई को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था|
दरअसल पतंजलि ने एक विज्ञापन में दावा किया था कि पतंजलि की दवाओं से लोगों को मधुमेह, उच्च रक्तचाप, थायराइड, लीवर सिरोसिस, गठिया और अस्थमा ठीक हो गया है| इसके साथ ही पतंजलि ने कोरोनिल नाम की एक दवा 2021 में शुरू की थी|
इस दवा को लेकर भी पतंजलि की ओर से दावा किया गया था कि ये कोरोना वायरस को सही कर सकता है| पतंजलि ने यह भी दावा किया था कि कोरोनिल को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से प्रमाणित किया गया है, लेकिन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इसे “सरासर झूठ” बताया था| अगस्त 2022 में, आईएमए ने पतंजलि के खिलाफ एक याचिका दायर की थी|
पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ने पिछले साल 21 नवंबर को शीर्ष अदालत को अपने माफीनामा में यह कहा और आश्वासन दिया था कि वह किसी भी कानून का, विशेष रूप से उसके द्वारा निर्मित और विपणन किए जाने वाले उत्पादों के विज्ञापन या ब्रांडिंग से संबंधित कानून का उल्लंघन नहीं करेगा|
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