वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि दुनिया का ध्यान रखे हुए कयामत की घड़ी के समय को छोटा कर दुनिया विनाश के करीब पहुंच रही है। इस हिसाब से अब रात के 12 बजने में सिर्फ 90 सेकंड बचे हैं और वैज्ञानिकों ने कहा है कि दुनिया पर संकट गहरा गया है|
यह एक प्रतीकात्मक घड़ी है जो पृथ्वी के सर्वनाश का समय बताती है। प्रतीकात्मक रूप से कहा गया है कि इस समय दुनिया में परमाणु युद्ध होगा और रात 12 बजे दुनिया का सर्वनाश हो जाएगा। इस घटना की अवधारणा वर्ष 1947 में अमेरिका में बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स नामक वैज्ञानिकों के एक समूह द्वारा बनाई गई थी, जो दुनिया के परमाणु हथियारों और उनकी वर्तमान स्थिति की जानकारी रखता है।
उस समय वैज्ञानिकों ने यह भावना व्यक्त की कि परमाणु हथियारों, परमाणु ऊर्जा के कारण विश्व का विनाश निकट है, इसके लिए होड़ शुरू हो गई। तब से दुनिया में बदलती परिस्थितियों के अनुसार इस घड़ी में समय बढ़ता या घटता रहा है। इसके अनुसार आधी रात 12 बजे से मिनट की सुई जितनी आगे होगी, दुनिया उतनी ही सुरक्षित मानी जाती है।
बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स के संवाददाताओं ने कयामत की घड़ी की मिनट की सुई को रात के 12 बजे के करीब 90 सेकेंड आगे बढ़ाया है। यानी इसके जरिए कहा गया है कि हम सभी प्रतीकात्मक रूप से दुनिया के सर्वनाश के काफी करीब आ गए हैं। इससे पहले, इवेंट का समय 2020 के लिए 100 सेकंड निर्धारित किया गया था। अब इसे और घटाकर 10 सेकंड कर दिया गया है।
संक्षेप में, इस युद्ध से संबंधित प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष जन-देशों को अधिक जिम्मेदारी से कार्य करने की आवश्यकता इस अवसर पर व्यक्त की गई है। इस कयामत की घड़ी में सबसे लंबा समय 1991 के आसपास 17 मिनट का था। यानी दुनिया विनाश से 17 मिनट दूर थी, दुनिया सुरक्षित थी, क्योंकि उस समय सोवियत रूस के पतन के साथ घातक शीत युद्ध समाप्त हो गया था।
यूक्रेन पर रूस का आक्रमण, वहाँ दीर्घ युद्ध, बढ़ती स्थिति और दुनिया के लिए इसके निहितार्थ, कहा गया है कि यूक्रेन पर अमेरिका और नाटो के रुख की पृष्ठभूमि में दुनिया का सर्वनाश 90 सेकंड दूर है।
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