बांग्लादेश में लोकतान्त्रिक व्यवस्था में तख्तापलट कर आई डीप स्टेट द्वारा रचित अंतरिम सरकार अब बदले की राजनीती से भी पीछे नहीं हट रही है। 16 वर्षों तक जनता के बीच से चुनकर आने वाली पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की मुश्किलें अब अंतरराष्ट्रीय मोर्चे तक पहुंच चुकी हैं। अंतरिम सरकार शेख हसीना के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करवाने की प्रक्रिया तेज़ कर दी है। इंटरपोल से औपचारिक अनुरोध भेजा जा चुका है, और अगर यह नोटिस जारी होता है, तो हसीना की संभावित राजनीतिक वापसी पर गंभीर सवाल खड़े हो सकते हैं।
बांग्लादेश पुलिस के राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो (NCB) ने इंटरपोल से संपर्क करते हुए आरोप लगाया है कि शेख हसीना और उनके 11 सहयोगियों ने देश में अस्थिरता फैलाने की साजिश रची और अंतरिम प्रशासन को गिराने की साज़िश में शामिल रहे। पुलिस मुख्यालय के सहायक महानिरीक्षक (मीडिया) इनामुल हक सागर ने बताया, “ये आवेदन उन आरोपों के संबंध में दायर किया गया है, जो जांच के दौरान या जारी मामले की कार्रवाई में सामने आए हैं।”
गौरतलब है कि हसीना को पिछले साल अगस्त में देश छोड़कर भारत आना पड़ा था, जब छात्र विरोध-प्रदर्शनों ने सड़कों पर उबाल ला दिया था। विरोध की इस सुनामी ने उनकी 16 साल पुरानी सत्ता को बहा ले गया। तब से हसीना देश से बाहर हैं, लेकिन राजनीतिक गतिविधियों से पूरी तरह दूर नहीं हुईं। वह अब भी अपने कार्यकर्ताओं से संपर्क बनाए रखती हैं और सत्ता में वापसी के दावे करती हैं।
हालांकि, मौजूदा अंतरिम सरकार की मंशा स्पष्ट है—वह पुराने शासन को कानून के कटघरे में लाकर एक मिसाल कायम करना चाहती है। नवंबर 2024 में ही अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने हसीना को पकड़ने के लिए इंटरपोल की मदद लेने की सिफारिश की थी।
शेख हसीना पर गृहयुद्ध भड़काने, देशविरोधी गतिविधियों में लिप्त रहने और संवैधानिक प्रक्रिया को कमजोर करने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए है, जबकि सच्चाई यही है की डीप स्टेट ने बांग्लादेश पर कंट्रोल बनाए रखने के लिए आरक्षण के झूठे आंदलनों के जरिए ढाका के रास्तों से गलियों तक खून बहाया, आखिर में दंगाई, जिहादी ताकतों से हार मानकर लोकतांत्रिक नेता को देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा । अंतरिम सरकार यह संदेश देना चाहती है कि बांग्लादेश की न्यायिक प्रणाली किसी भी पूर्ववर्ती सत्ता को कानून से ऊपर नहीं मानेगी।
अगर इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस जारी करता है, तो हसीना की अंतरराष्ट्रीय यात्रा बाधित हो सकती है, और उन्हें किसी भी देश से प्रत्यर्पित किए जाने का रास्ता खुल सकता है। साथ ही भारत उन्हें ज्यादा समय तक पनाह नहीं दे पाएगा। हालांकि शेख हसीना के प्रत्यर्पण के बाद बांग्लादेशी जिहादी सांप्रदायिक ताकतें उनसे बदला लेंगी, जो इस राक्षसी व्यवस्था का सच उजागर करेगा, जो पिछले 9 महीनों से बांग्लादेश के अल्पसंख्यांक गैरमुसलमानों की मौत का सबब है।
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