अत्याधुनिक ट्रेन कही जाने वाली नई पीढ़ी की वंदे भारत एक्सप्रेस के सामने अक्टूबर महीने में वंदे भारत ट्रेन के सामने जानवरों के आने की यह तीसरी घटना है। वंदे भारत एक्सप्रेस के बार-बार होने वाले हादसों के कारण इस ट्रेन की मरम्मत पर कितना खर्चा आता है, यह सवाल फिलहाल चर्चा में है। वंदे भारत एक्सप्रेस के आगे वाले भाग ( नोज़ कोन ) को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि हादसे के बाद भी ट्रेन और अंदर बैठे यात्री घायल न हों| इसलिए प्रीमियम ट्रेन का अगला भाग आकार में त्रिकोणीय है। यह हिस्सा मजबूत फाइबर से बना है।
जब कोई दुर्घटना होती है या कोई जानवर ट्रेन से टकराता है, तो केवल सामने का त्रिकोण अधिक क्षतिग्रस्त होता है। इंजन और कार के अन्य हिस्से क्षतिग्रस्त नहीं होते हैं। इसलिए वंदे भारत एक्सप्रेस का अगला सिरा अक्सर गायों की दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हो जाता है। वंदे भारत एक्सप्रेस के नोज कॉन कवर की कीमत 10,000 रुपये से 15,000 रुपये है। ट्रेन से टकराने के बाद मौके पर ही ट्रेन की मरम्मत की जाती है| भारतीय रेलवे ने इस ट्रेन के लिए 10 स्पेयर पार्ट्स आरक्षित किए हैं।
इस बीच जनवरी के महीने में भारतीय रेलवे की 360 ट्रेनों ने गायों को टक्कर मारी है| तो सितंबर में यह संख्या बढ़कर 635 हो गई है। प्रतिदिन लगभग 22 ट्रेनें गायों को टक्कर मारती हैं। रेल प्रशासन के मुताबिक अक्टूबर के पहले नौ दिनों में 200 ट्रेनों को नुकसान पहुंचा है| तो इस साल यह संख्या बढ़कर 4,433 हो गई है। गायों से टकराने से ट्रेन को काफी नुकसान हो सकता है। ऐसे में ट्रेन पटरी पर भी उतर सकती है| इससे कोई बड़ा हादसा भी हो सकता है।