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Friday, December 5, 2025
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Su-57 से लेकर BrahMos-NG तक, भारत–रूस रक्षा सहयोग में बड़े सौदों की तैयारी

इसी कारण रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके रूसी समकक्ष आंद्रेई बेलोउसॉव के बीच बातचीत में डिलीवरी टाइमलाइन और आफ्टर-सेल्स सपोर्ट को “सर्वोच्च प्राथमिकता” देने की उम्मीद है।

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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दो दिवसीय भारत यात्रा ने पिछले कई वर्षों में सबसे व्यापक भारत-रूस रक्षा संवाद का रास्ता खोल दिया है। वायु रक्षा प्रणालियों, फाइटर जेट सहयोग, मिसाइल प्रोग्रामों और सप्लाई-चेन सुधारों पर केंद्रित इस दौरे में दोनों देशों के बीच रणनीतिक रक्षा साझेदारी के नए अध्याय लिखे जाने की उम्मीद है। इसी बीच दोनों देशो में Su-57 से लेकर BrahMos-NG तक सौदे होने की उम्मीद बनी हुई है।

दोनों नेताओं के बीच पिछले 12 महीनों में पांच टेलीफोन वार्ताएं और एक आमने-सामने बातचीत पहले ही हो चुकी है। शुक्रवार (5 दिसंबर)को पुतिन ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की, राजघाट महात्मा गाँधी स्मारक पर श्रद्धांजलि दी और हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ विस्तृत बातचीत की। वार्ता के बाद राज्य भोज के साथ कार्यक्रम संपन्न होगा।

रूसी राष्ट्रपति के सलाहकार यूरी उशाकोव के अनुसार, मोदी और पुतिन के बीच रक्षा, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, वित्त, शिक्षा, परिवहन और सांस्कृतिक सहयोग सहित कई मुद्दों पर “नियमित और गोपनीय” बातचीत होगी। इस वर्ष द्विपक्षीय व्यापार 63.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर्स तक पहुंचने का अनुमान है लेकिन, भारत ने बढ़ते व्यापार असंतुलन पर चिंता जताई है। दोनों देश 2030 तक की रणनीतिक आर्थिक सहयोग योजना पर हस्ताक्षर करने की तैयारी में हैं।

भारत की लंबी-दूरी वायु रक्षा क्षमता को मजबूत करने की आवश्यकता ने 2015 से रूस के साथ वार्ताओं को तेज किया था, जिसका परिणाम 2018 में 5.43 बिलियन डॉलर्स की S-400 डील के रूप में सामने आया।

तीन S-400 रेजिमेंट पहले ही तैनात की जा चुकी हैं, जबकि दो शेष रेजिमेंट 2025–27 के बीच आनी हैं। सिस्टम की क्षमता इस वर्ष ऑपरेशन सिंदूर के दौरान 300 किमी से अधिक दूरी के प्रहार में दिख चुकी है। नए वार्ताओं में भारत अतिरिक्त 300 इंटरसेप्टर मिसाइलों की मांग और भविष्य में पांच और S-400 स्क्वाड्रन खरीदने के विकल्प का मूल्यांकन कर रहा है।

इसी के समानांतर, रूस का हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल्स, बैलिस्टिक मिसाइलों, स्टेल्थ एयरक्राफ्ट, क्रूज़ मिसाइलों और लो-अर्थ ऑर्बिट उपग्रहों तक को इंटरसेप्ट करने में सक्षम सबसे आधुनिक S-500 प्लेटफॉर्म भारत की गंभीर रुचि का विषय बन गया है। IAF और DRDO विशेषज्ञ इसकी मूल्यांकन टीम पहले ही रूस जा चुकी है।

मॉस्को ने लॉन्च वेहिकल, कमांड पोस्ट और रडारों के टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और संयुक्त उत्पादन पर खुलकर सहयोग की पेशकश की है। हालांकि S-500 की संवेदनशील प्रकृति को देखते हुए चर्चा अभी प्रारंभिक स्तर पर मानी जा रही है।

IAF इस समय अपने अनुमोदित स्क्वाड्रन बल से नीचे संचालित हो रही है, जिससे चीन और पाकिस्तान दोनों मोर्चों पर समानांतर संचालन चुनौतीपूर्ण हो गया है। भारत का अपना 5वीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान AMCA अभी सेवा-योग्य होने में समय लेगा, ऐसे में अंतरिम समाधान की तलाश जारी है।

रूस ने पुष्टि की है कि पुतिन–मोदी मुलाकात में Su-57 स्टेल्थ फाइटर जेट पर विस्तृत चर्चा होगी। यह वही प्लेटफॉर्म है जिस पर भारत पहले FGFA परियोजना में साझेदार था। Su-30MKI के बड़े के कारण भारतीय पायलटों के लिए रूसी प्लेटफॉर्म पर बदलाव आसान माना जाता है।

भारतीय रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने कहा कि भारत-रूस रक्षा सहयोग “लंबा-चौड़ा और स्थायी” है और भारत अमेरिका व रूस, दोनों से रक्षा खरीद जारी रखेगा। हालांकि, Su-57 पर कोई बड़ा निर्णय पुतिन की यात्रा के दौरान अंतिम रूप लेने की संभावना कम है।

भारत-रूस की रक्षा साझेदारी का सबसे स्पष्ट प्रतीक BrahMos मिसाइल सिस्टम है, जिसने ऑपरेशन सिंदूर में फिर अपनी मारक क्षमता साबित की। दोनों नेता अब इसके उन्नत संस्करण BrahMos-NG (Next Generation) पर चर्चा करेंगे, जो हल्का, तेज, और अधिक प्लेटफॉर्म-संगत होगा, विशेषकर उन फाइटर जेट के लिए जो मौजूदा संस्करण का भार नहीं उठा सकते। BrahMos-NG को भारत की बदलती सामरिक जरूरतों के अनुसार एक गेम-चेंजर सिस्टम माना जा रहा है। यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी प्रतिबंधों से रूस की सप्लाई चेन प्रभावित हुई है।

S-400 समेत कई प्लेटफॉर्म्स की समयसीमा में देरी ने भारतीय सेनाओं की मेंटेनेंस क्षमता को प्रभावित किया है।

इसी कारण रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके रूसी समकक्ष आंद्रेई बेलोउसॉव के बीच बातचीत में डिलीवरी टाइमलाइन और आफ्टर-सेल्स सपोर्ट को “सर्वोच्च प्राथमिकता” देने की उम्मीद है। भारत पश्चिमी देशों खासकर अमेरिका और फ्रांस से रक्षा आधुनिककरण के लिए सहयोग बढ़ा रहा है, लेकिन साथ ही रूस को मिसाइल तकनीक, भारी फाइटर जेट्स, पनडुब्बी कार्यक्रम और वायु रक्षा प्रणालियों में अप्रतिस्थापनीय साझेदार मानता है।

यूक्रेन युद्ध पर भारत की तटस्थ स्थिति भी इस संतुलन का हिस्सा है। मोदी और पुतिन की चर्चा में यूक्रेन संघर्ष भी शामिल होने की संभावना है। मॉस्को के लिए, रूस की पश्चिम से बढ़ती दूरी के बीच एशिया में भारत एक सबसे महत्वपूर्ण रक्षा साझेदार बना हुआ है।

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