सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई समिति ने विवादास्पद तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के पक्ष में नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट पैनल के सदस्य अनिल घनवट ने एक कार्यक्रम में इस संबंध में खुलासा किया। उन्होंने कहा अब यह कानून वापस लिया जा चुका ,इसलिए इस बोलने पर कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा कि इस कानून के वापस लिए जाने से आंदोलन कर रहे किसान अपना ही नुकसान किये है। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को इस कानून को लेकर गुमराह भी किया गया। उन्होंने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट को प्रकाशित किया होता तो वह किसानों को इन कृषि कानूनों के लाभ के बारे में बता सकती थी। इतना ही नहीं इन कानूनों को निरस्त करने से रोका जा सकता था।
समिति की रिपोर्ट अभी तक उच्चतम न्यायालय के समक्ष सीलबंद लिफाफे में है। घनवट ने कहा कि समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि इन कृषि कानूनों को निरस्त करना या लंबे समय तक निलंबित करना उन किसानों के लिए अनुचित होगा जो कानूनों का समर्थन करते हैं।”
घनवट ने यह भी कहा कि समिति ने 73 किसान संगठनों से बात की थी जिसमें 61 संगठन इस कानून के पक्ष में थे। जो 3 करोड़ से ज्यादा किसानों का प्रतिनिधित्व करते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकांश आंदोलनकारी किसान पंजाब और उत्तर भारत से आए थे। इन किसानों को समाजवादी और कम्युनिस्ट नेताओं ने गुमराह किया था। उन्होंने कहा कि उनसे एमएसपी के बारे में झूठ बोला गया था। उन्होंने कहा कि ,हालांकि यह बीते दिनों की बात है तीन कृषि कानून अब वापस लिया जा चुका है। आंदोलन कर रहे किसानों को अब महसूस होगा कि उन्होंने खुद को नुकसान पहुंचाया है और अपनी आय बढ़ाने का अवसर खो दिया है।
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