पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी. आनंद बोस के अनुरोध पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी के निर्देशों के तहत इस शिविर का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य इस क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाली नेत्र चिकित्सा सेवा प्रदान करना है।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, शिविर का सबसे बड़ा आकर्षण नेपाल से आए नेत्र रोगी थे। कुल 17 पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों की नेत्र संबंधी बीमारियों की जांच की गई और उनमें से कुछ की उच्च गुणवत्ता वाले लेंस के साथ मुफ्त मोतियाबिंद सर्जरी की गई।
भारतीय सेना ने 20 से 24 मार्च तक पश्चिम बंगाल के बागडोगरा स्थित 158 बेस अस्पताल में इस अत्याधुनिक नेत्र शल्य चिकित्सा शिविर का आयोजन किया। यहां पूर्व सैनिकों को उन्नत चिकित्सा सेवा प्रदान की गई। कुल 1,752 पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों की मोतियाबिंद सहित विभिन्न नेत्र संबंधी बीमारियों की जांच की गई। इसके अलावा, 500 से अधिक उच्च-मानक चश्मे निशुल्क वितरित किए गए। शीर्ष-स्तरीय उपकरणों और उच्च-गुणवत्ता वाले लेंसों के उपयोग से यह सुनिश्चित हुआ कि रोगियों को सर्वोत्तम संभव देखभाल मिले।
इस पहल का नेतृत्व आर्मी हॉस्पिटल (रिसर्च एंड रेफरल), नई दिल्ली में नेत्र रोग विभाग के प्रमुख और नेत्र शल्य चिकित्सक ब्रिगेडियर संजय कुमार मिश्रा ने किया। उन्हें एक लाख से अधिक सफल मोतियाबिंद, विट्रोरेटिनल, अपवर्तक और ग्लूकोमा सर्जरी करने का श्रेय दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया गया कि पूर्व सैनिकों को बिना यात्रा किए वह देखभाल मिले, जिसके वे हकदार हैं। यह पहल पूर्वी क्षेत्र में हमारे दिग्गजों तक शीर्ष स्तर की चिकित्सा सेवाएं पहुंचाने में भारतीय सेना की अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
आरजी कर रेप-हत्या केस: पीड़ित परिवार ने की हाईकोर्ट से एसआईटी बनाने की मांग!