अब मुंबई का दिल कही जाने वाली धारावी का कायाकल्प होने जा रहा है। यह जिम्मेदारी उद्योगपति गौतम अडानी निभाएंगे। धारावी वह जगह जहां न पीने के लिए साफ़ पानी मिलता है. और न ही यहां अच्छी साफ़ सफाई है। यहां रहने के लिए लोगों के सिर पर एक टीन की छत होती है और एक संकरी गलीनुमा घर में चार से छह लोग रहते है। इससे ज्यादा भी लोग रहते हैं। इसे एशिया की सबसे बड़ी स्लम एरिया कहा जाता है। मुंबई के लाखों लोग इस एरिया में रहते हैं। धारावी को मुंबई का दिल और मिनी इंडिया भी कहा जाता है।
5069 करोड़ रूपये की बोली :अब धारावी में ऊंची ऊंची इमारतें देखने को मिल सकती हैं। गौतम अडानी की कंपनी अडानी इंफ्रा ने धरावी का कायाकल्प करेगी। इसके लिए अडानी इंफ्रा ने 5069 करोड़ रूपये की बोली लगाई है। जबकि एक अन्य कंपनी ने 2025 करोड़ की बोली लगाई है। जबकि, एक तीसरी कंपनी नमन को डिस्क्वालिफाई कर दिया गया। मालूम हो कि एशिया के सबसे बड़े स्लम एरिया धारावी के रिडेवलपमेंट प्लान 2004 से ही चल रहा है। लेकिन अब जाकर इसका टेंडर मंजूर हुआ है।धारावी एशिया की पहली जबकि दुनिया की तीसरी स्लम बस्ती है।
स्लमडॉग मिलियनिर फिल्म बनी थी:धारावी पर 2008 में स्लमडॉग मिलियनिर फिल्म बनी थी। जिसमें यह दिखया गया है कि कैसे वह करोड़पति बनता है। बताया जाता है कि धारावी में हर साल 80 अरब रूपये का कारोबार होता है। इतना ही नहीं यहां 5 हजार से ज्यादा रजिस्टर्ड कारोबारी रहते हैं जबकि 15 हजार से ज्यादा कारखाना है। यहां की बनी चीजों को बाहर भेजा जाता है। यहां चमड़े,मिट्टी के सामान बनाये जाते हैं। 1999 में बीजेपी और शिवसेना की सरकार बनने के बाद धारावी का रिडेवलपमेंट का बनाया।
फ्री में मकान दिया जाएगा: बताया जाता है कि सरकार चाहती थी कि धारावी का नाम स्लम एरिया न आये बल्कि यहां अच्छे मकान बनाये जाएं। इसी प्लान के तहत धारावी का रिडेवलपमेंट किया जा रहा है। रिडेवलपमेंट का प्रोजेक्ट 20 हजार करोड़ का है। जिसे सत्रह साल में पूरा किया जाना है। जबकि यहां रहने वाले लोगों को सात साल में पक्का मकान दिया जाना तय किया गया है। इस प्रोजेक्ट के अनुसार यहां साल 2000 से पहले आकर बसे लोगों को फ्री में मकान दिया जाएगा,जबकि 2000 – 2011 के बीच आकर बसे लोगों को मकान की कीमत देनी होगी। वैसे प्लेग और हैजा जैसी बीमारी के बीच भी लोगों ने यहां। 2020 में दुनिया भर में कोरोना महामारी के दौरान भी लोगों यहां कोरोना से संक्रमित हुए। यहां सबसे बड़ी समस्या थी सामाजिक दूरी जिसे बनाये रखना एक चुनौती थी।
550 किलोमीटर की दूरी में बसा: एक अनुमान के अनुसार बताया जाता है कि यहां छह से दस लाख लीग रहते हैं। यहां 58 हजार परिवार रहता है जबकि 12 हजार कमर्शियल कॉम्प्लेक्स हैं। बताया जाता है कि इस बस्ती को अंग्रेजों ने बसाया था। ताकि मजदूरों को कम दामों पर उनके रहने का ठिकाना मिल सके। इसके बाद लोग यहां बड़े पैमाने पर लोग बसने लगे। हालांकि यह जमीन सरकारी है। जहां लोग अपने खर्चे पर झुग्गी झोपडी बनाते हैं। धारावी 550 किलोमीटर की दूरी में बसा हुआ है। कहा जाता है कि यहां एक किलोमीटर के दायरे में लगभग दो लाख लोग रहते हैं। यहां अस्सी प्रतिशत लोग सार्वजनिक टॉयलेट का उपयोग करते है।
ये भी पढ़ें
Zombie Virus: कोरोना से भी घातक संक्रमण लहर का सता रहा है डर !