थाईलैंड की संवैधानिक अदालत ने मंगलवार (1 जुलाई) को देश की प्रधानमंत्री पैटोंगटार्न शिनावात्रा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यह फैसला उस याचिका को स्वीकार करने के बाद लिया गया है जिसमें एक लीक टेलीफोन कॉल को लेकर उनके खिलाफ संविधान और नैतिक मानकों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था। यह कॉल कम्बोडिया के सीमा विवाद से संबंधित थी।
न्यायाधीशों की एक पीठ ने सर्वसम्मति से याचिका को सुनवाई के योग्य मानते हुए कहा कि अंतिम निर्णय आने तक प्रधानमंत्री अपने सभी आधिकारिक कार्यों और शक्तियों से वंचित रहेंगी। अदालत ने यह भी कहा कि यह निर्णय “गंभीर और अपूरणीय क्षति से बचाव” के लिए एक अस्थायी उपाय है।
पिछले महीने कुछ सीनेटरों ने एक याचिका दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पैटोंगटार्न ने कम्बोडियाई सीनेट अध्यक्ष समदेक टेचो हुन सेन से बातचीत के दौरान थाई नैतिक संहिता और संविधान का उल्लंघन किया है। यह कॉल सोशल मीडिया पर लीक हुई थी और विवादों का कारण बनी। इसके बाद देशभर में राजनीतिक भूचाल आ गया।
पिछले सप्ताह हजारों प्रदर्शनकारी बैंकॉक की सड़कों पर उतर आए और प्रधानमंत्री से इस्तीफे की मांग करने लगे। अदालत के फैसले के बाद 38 वर्षीय पैटोंगटार्न ने कहा,“मैं अदालत के निर्णय को विनम्रतापूर्वक स्वीकार करती हूं और नियमानुसार 15 दिनों के भीतर अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करूंगी।”
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उपप्रधानमंत्री सुरिया जुआंगरुंगरुआंगकित अब कार्यवाहक प्रधानमंत्री की भूमिका निभाएंगे और गुरुवार को नए कैबिनेट के साथ शपथ लेंगे। इस बीच, थाई राजा महा वजिरालोंगकोर्न ने पैटोंगटार्न द्वारा पहले प्रस्तावित कैबिनेट फेरबदल को मंजूरी दे दी है। यह मंजूरी अदालत के फैसले से ठीक पहले उस समय दी गई जब सत्तारूढ़ गठबंधन की एक प्रमुख पार्टी ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया।
गौरतलब है कि पैटोंगटार्न फ्यु थाई पार्टी की नेता और पूर्व प्रधानमंत्री थाक्सिन शिनावात्रा की बेटी हैं। उन्हें अगस्त 2024 में संसद में बहुमत से प्रधानमंत्री चुना गया था। वह थाईलैंड की सबसे युवा और दूसरी महिला प्रधानमंत्री हैं। अब देश की निगाहें अदालत की आगामी सुनवाई पर टिकी हैं, जिससे तय होगा कि पैटोंगटार्न सत्ता में बनी रहेंगी या उन्हें स्थायी रूप से पद से हटना पड़ेगा।
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