कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस छोड़कर BJP में शामिल होने वाले अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को कलकत्ता हाइकोर्ट ने बुधवार (28 जुलाई) को बड़ी राहत दी, जज ने कहा कि किसी फिल्म के डायलॉग से हिंसा नहीं फैलती, न ही अशांति होती है. मिथुन चक्रवर्ती के मामले में हाइकोर्ट ने कोलकाता पुलिस से जांच की रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है। बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान कोलकाता के ऐतिहासिक ब्रिगेड परेड ग्राउंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा में मिथुन चक्रवर्ती ने अपनी फिल्म का के दो डायलॉग बोले थे, ‘मारबो एखाने, लाश पोड़बे सशाने.’ यानी मारूंगा यहां, तो लाश गिरेगा श्मशान में, मिथुन के इस डायलॉग को तृणमूल ने भड़काऊ बयान करार दिया था।
तृणमूल युवा कांग्रेस के एक नेता ने कोलकाता के मानिकतला थाना में भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाते हुए मिथुन चक्रवर्ती के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी गयी थी, तृणमूल युवा कांग्रेस के नेता ने अपनी शिकायत में कहा था कि 7 मार्च को भाजपा में शामिल होने के बाद आयोजित रैली में चक्रवर्ती ने ‘मारबो एखाने लाश पोरबे सशाने’ और ‘एक छोबोले छबि’ (नाग का एक ही दंश तुम्हें तस्वीर में कैद कर देगा) डॉयलॉग बोले थे, जिसकी वजह से राज्य में चुनाव के बाद हिंसा हुई। इस शिकायत के बाद मानिकतला थाना की पुलिस ने कई बार मिथुन चक्रवर्ती से पूछताछ की, अब जाकर इस मामले में मिथुन को बड़ी राहत मिल गयी है, जस्टिस कौशिक चंद ने केस की सुनवाई करते हुए कहा कि किसी फिल्म के लोकप्रिय डायलॉग को सभा में बोलने से हिंसा नहीं भड़कती,उन्होंने कहा कि शोले फिल्म में अमजद खान से लेकर बहुत से अभिनेताओं ने अब तक हजारों लोकप्रिय डायलॉग दिये हैं।
जस्टिस चंद ने कहा कि मिथुन चक्रवर्ती का डायलॉग भी काफी लोकप्रिय है, दूसरी तरफ, मिथुन ने भी माना है कि उन्होंने लोगों का मनोरंजन करने के लिए वह डायलॉग बोला था. इसलिए इस मामले में कोई दम नहीं है और इसमें जांच करने जैसी कोई बात नहीं है, चुनाव के बाद की अशांति के लिए मिथुन चक्रवर्ती को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. डायलॉग ने वोट के बाद अशांति पैदा की, यह कहना सही नहीं है। जस्टिस चंद ने कोलकाता पुलिस को इस मामले की जांच की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, इस केस की अगली सुनवाई 3 अगस्त को होगी।