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​Same Sex Marriage:  संवर्द्धिनी न्यास ने एक ऑनलाइन सर्वे, 84 प्रतिशत डॉक्टर करते हैं विरोध​ ​​!​

सर्वे में हिस्सा लेने वाले 57.23 फीसदी डॉक्टरों ने सुप्रीम कोर्ट से इसमें दखल न देने की गुहार लगाई है| वहीं, 42.76 फीसदी डॉक्टरों ने उम्मीद जताई है कि कोर्ट इस मामले में उचित फैसला लेगी।

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समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग का विरोध जा​ रहा​ है|​​ यह मामला ‘संवर्धन न्यास’ द्वारा देश भर के डॉक्टरों के एक ऑनलाइन सर्वेक्षण से सामने आया है। ‘संवर्धन न्यास’ के इस सर्वे में 15.40 फीसदी डॉक्टरों ने राय जाहिर की है कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने में कुछ भी गलत नहीं है|​जबकि 84.27 फीसदी डॉक्टरों ने ​इसका विरोध किया| ​समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और सुनवाई जारी है|​ संगठन ‘संवर्धन न्यास’ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध राष्ट्रीय सेवक समिति की सांस्कृतिक शाखा है।

समलैंगिक विवाह को दुनिया के कई देशों में कानूनी मान्यता प्राप्त है और वर्तमान में भारत में भी इसकी मांग की जा रही है। वर्तमान में, सर्वोच्च न्यायालय एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है कि क्या समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दी जानी चाहिए। हालांकि, देश के चिकित्सा विशेषज्ञों, डॉक्टरों और मनोचिकित्सकों ने इस तरह के विवाहों के वैधीकरण का कड़ा विरोध किया है। देश भर के प्रसिद्ध डॉक्टरों द्वारा किए गए एक ऑनलाइन सर्वेक्षण के माध्यम से संगठन ‘संवर्धन न्यास’ (राष्ट्र सेविका समिति से संबंधित एक संगठन) ने इस मामले को उजागर किया है।

इस सर्वेक्षण में ‘संवर्द्धिनी न्यास’ ने देश के विभिन्न भागों में कम से कम पाँच वर्षों तक चिकित्सा सेवा में रहे 318 अनुभवी चिकित्सकों की राय ली। उसमें 84.27 फीसदी डॉक्टरों ने राय व्यक्त की है कि सुप्रीम कोर्ट को ऐसी शादियों को कानूनी मान्यता नहीं देनी चाहिए| वहीं, 15.40 फीसदी डॉक्टरों ने राय व्यक्त की है कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने में कुछ भी गलत नहीं है| इस सर्वे में शामिल हुए करीब 60.69 फीसदी डॉक्टरों ने कहा कि समलैंगिकता एक बीमारी है|

करीब 28.93 फीसदी डॉक्टर समलैंगिकता को कोई बीमारी नहीं मानते|​​ 67.61 फीसदी डॉक्टर ऐसी शादियों के बाद गोद लिए गए बच्चों की परवरिश को लेकर गंभीर चिंता महसूस करते हैं|​​ उनके मुताबिक समलैंगिक जोड़े अपने गोद लिए हुए बच्चों की ठीक से परवरिश नहीं कर पाएंगे। हालांकि, 19 फीसदी डॉक्टर उनकी इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते और राय जाहिर की है कि सेम सेक्स कपल्स दूसरे कपल्स के साथ मिलकर बच्चों की ठीक से देखभाल कर सकते हैं|​ ​सर्वे में शामिल 83 फीसदी डॉक्टरों ने आशंका जताई कि ऐसे संबंध से यौन संचारित रोग बढ़ेंगे|​ ​

‘संवर्धन न्यास’ द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, समलैंगिकता केवल कानूनी या चिकित्सीय मुद्दा नहीं है। अतः यह विषय प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से समाज के विभिन्न वर्गों को प्रभावित करता है। इसलिए इस सर्वेक्षण के बाद ‘संवर्धन न्यास’ ने उम्मीद जताई है कि भविष्य में ऐसी शादियों को कानूनी मान्यता मिलने पर उठने वाले सवालों पर और अध्ययन की जरूरत है और सुप्रीम कोर्ट को इस संबंध में फैसला लेने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए|
सर्वे में हिस्सा लेने वाले 57.23 फीसदी डॉक्टरों ने सुप्रीम कोर्ट से इसमें दखल न देने की गुहार लगाई है| वहीं, 42.76 फीसदी डॉक्टरों ने उम्मीद जताई है कि कोर्ट इस मामले में उचित फैसला लेगी।
‘संवर्धन न्यास’ द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, यदि सर्वोच्च न्यायालय समलैंगिक विवाह को वैध करता है, तो समलैंगिकता की ओर मुड़ने वाले पुरुषों और महिलाओं का कभी भी इलाज नहीं किया जा सकता है और उन्हें सामान्य जीवन में वापस नहीं लाया जा सकता है। समलैंगिकता को विभिन्न उपचारों के माध्यम से ठीक किया जा सकता है। हालांकि, अगर समलैंगिक विवाह को कानूनी समर्थन मिलता है, सर्वेक्षण के बाद ‘समवर्धनी न्यासा’ द्वारा निकाले गए निष्कर्ष के अनुसार, समलैंगिक पुरुष और महिलाएं कभी भी उपचार की ओर नहीं मुड़ेंगे और इससे विभिन्न सामाजिक समस्याएं पैदा होंगी, महिलाओं की सुरक्षा को खतरा होगा।
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