अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 1 अगस्त 2025 से लागू होने वाले नए टैरिफ नियमों की घोषणा करते हुए दुनिया के प्रमुख व्यापारिक साझेदारों पर दबाव बढ़ा दिया है। हालांकि उन्होंने फिलहाल इन टैरिफों को कुछ हफ्तों के लिए स्थगित किया है, जिससे देशों को अमेरिका के साथ नई व्यापार संधियों पर बातचीत करने का मौका मिल सके।
ट्रंप ने जापान, दक्षिण कोरिया समेत 14 देशों को सीधे चेतावनी दी है कि यदि वे 1 अगस्त तक अमेरिका के साथ नई व्यापार डील्स पर सहमति नहीं देते, तो उन्हें कम से कम 25 प्रतिशत टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। ट्रंप का कहना है कि यूके और चीन के साथ उनकी डील हो चुकी है, जबकि भारत के साथ समझौता लगभग तय है।
ट्रंप के इस कदम से वैश्विक व्यापार में गंभीर अस्थिरता देखने को मिल रही है। अमेरिका द्वारा भेजे गए आधिकारिक पत्रों और सार्वजनिक घोषणाओं में बताया गया कि यदि निर्धारित समय सीमा तक कोई डील नहीं होती, तो कुछ देशों पर यह टैरिफ 40 प्रतिशत तक भी पहुंच सकता है। इनमें जापान, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड (36%), बांग्लादेश (35%) जैसे देशों का नाम सामने आया है।
अमेरिका ने इस बार BRICS देशों पर भी सीधा निशाना साधा है। ट्रंप ने कहा है कि जो देश BRICS के साथ घनिष्ठता या सहयोग रखते हैं, उन्हें 10 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने BRICS पर “अमेरिका विरोधी नीतियां अपनाने” का आरोप भी लगाया।
यह बयान उस समय आया है जब BRICS नेताओं की बैठक रियो डी जनेरियो में चल रही है। BRICS समूह की ओर से जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि एकतरफा टैरिफ न केवल वैश्विक व्यापार को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि सप्लाई चेन को बाधित करते हैं और अनिश्चितता को बढ़ाते हैं। इस बयान में अमेरिका या ट्रंप का नाम नहीं लिया गया, लेकिन इशारा स्पष्ट था।
ब्रिक्स ने पिछले महीने ईरान पर हुए अमेरिकी सैन्य हमलों को भी अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया। इस संगठन की शुरुआत 2006 में ब्राजील, रूस, भारत और चीन ने की थी। दक्षिण अफ्रीका 2010 में जुड़ा। 2024 में ईरान, मिस्र, इथियोपिया और यूएई भी सदस्य बने। इंडोनेशिया 2025 में शामिल हुआ। अब तक 30 से अधिक देशों ने BRICS की सदस्यता के लिए आवेदन दिया है।
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर लिखा, “जो भी देश अमेरिका-विरोधी BRICS एजेंडे के साथ खड़ा होगा, उसे 10% अतिरिक्त टैक्स देना पड़ेगा। कोई अपवाद नहीं।” जवाब में ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने ट्रंप की धमकियों की आलोचना करते हुए कहा, “दुनिया को ऐसा सम्राट नहीं चाहिए जो इंटरनेट पर गुस्से में बयानबाजी करे।”
इसी बीच अगले साल BRICS की मेज़बानी भारत के पास आयी है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने BRICS के भविष्य को लेकर कहा, “भारत अपनी BRICS अध्यक्षता के दौरान इस संगठन को नए स्वरूप में परिभाषित करेगा और ग्लोबल साउथ के मुख्य मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेगा।”
जिन देशों को अमेरिका ने अब तक पत्र नहीं भेजा है, उनमें यूरोपीय संघ, भारत, ताइवान, ब्राजील, तुर्की और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। माना जा रहा है कि या तो इनके साथ जल्द डील होने वाली है या फिर आगे टकराव की आशंका बनी हुई है। ऑस्ट्रेलिया, जो अमेरिका के साथ व्यापार में अधिशेष रखता है, सकारात्मक समझौता कर सकता है। वहीं भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अमेरिका के साथ सहयोग को लेकर आशावान है।
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