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Sunday, December 7, 2025
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वित्त वर्ष 2025 में यूपीआई की हिस्सेदारी बढ़कर 83.7% पहुंची!

आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट से पता चलता है कि यूपीआई ने वित्त वर्ष 2025 के दौरान 185.8 बिलियन लेन-देन की सुविधा प्रदान की, जो सालाना आधार पर 41 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

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यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) ने भारत के डिजिटल पेमेंट सिस्टम में अपना दबदबा मजबूत किया है। इसकी कुल लेन-देन मात्रा में हिस्सेदारी पिछले वित्त वर्ष के 79.7 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 83.7 प्रतिशत हो गई है। आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट से पता चलता है कि यूपीआई ने वित्त वर्ष 2025 के दौरान 185.8 बिलियन लेन-देन की सुविधा प्रदान की, जो सालाना आधार पर 41 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

मूल्य के संदर्भ में, यूपीआई लेन-देन वित्त वर्ष 2024 के 200 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 261 लाख करोड़ रुपए हो गया। आरबीआई ने कहा, “यूपीआई की सफलता ने भारत को ग्लोबल रियल टाइम पेमेंट में 48.5 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ अग्रणी स्थान पर पहुंचा दिया है।”

देश में कुल डिजिटल भुगतान, जिसमें भुगतान प्रणाली, कार्ड नेटवर्क और प्रीपेड भुगतान उपकरणों (पीपीआई) के माध्यम से लेनदेन शामिल हैं, वित्त वर्ष 2025 में 35 प्रतिशत बढ़कर 221.9 बिलियन हो गया, जबकि वित्त वर्ष 2024 में यह 164.4 बिलियन था।

मूल्य के संदर्भ में, कुल डिजिटल भुगतान 17.97 प्रतिशत बढ़कर 2,862 लाख करोड़ रुपए हो गया।

वित्त वर्ष 2025 में क्रेडिट कार्ड लेनदेन बढ़कर 4.7 बिलियन हो गया, जबकि वित्त वर्ष 2024 में यह 3.5 बिलियन था, जबकि डेबिट कार्ड के उपयोग में 29.5 प्रतिशत की तीव्र गिरावट देखी गई, जो घटकर 1.6 बिलियन लेनदेन रह गया। गैर-नकद खुदरा भुगतान की कुल मात्रा में डिजिटल लेनदेन की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2025 में 99.9 प्रतिशत रही, जबकि वित्त वर्ष 2024 में यह 99.8 प्रतिशत थी।

आरबीआई ने यह भी कहा कि केंद्रीय बैंक 2028-29 तक 20 देशों में यूपीआई का विस्तार करने के लिए प्रतिबद्ध है।

भूटान, फ्रांस, मॉरीशस, नेपाल, सिंगापुर, श्रीलंका और यूएई में क्यूआर कोड के माध्यम से भारतीय यूपीआई ऐप की स्वीकृति पहले ही सक्षम हो चुकी है, जिससे भारतीय पर्यटक, छात्र और व्यावसायिक यात्री अपने घरेलू यूपीआई ऐप का उपयोग करके भुगतान कर सकते हैं।

आरबीआई ने यह भी कहा कि धोखाधड़ी के मामलों की कुल घटनाओं में कमी आई है, लेकिन धोखाधड़ी की राशि तीन गुना बढ़कर 36,014 करोड़ रुपए हो गई है, जिसका मुख्य कारण धोखाधड़ी  के नए तरीके हैं।

इसके विपरीत, कार्ड और इंटरनेट धोखाधड़ी की मात्रा वित्त वर्ष 2024 में 29,802 से घटकर वित्त वर्ष 2025 में 13,516 हो गई।

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