डेनमार्क की सैन्य खुफिया एजेंसी डेनिश डिफेन्स इंटेलीजेंस सर्विस (DDIS) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में पहली बार संयुक्त राज्य अमेरिका को यूरोप और डेनमार्क की सुरक्षा के लिए संभावित खतरा करार दिया है। यह रिपोर्ट 10 दिसंबर को प्रस्तुत की गई, जिसने नॉर्डिक देशों और अमेरिका के बीच बदलते समीकरणों को नई दिशा दे दी है।
एजेंसी ने चेतावनी दी कि डेनमार्क की राष्ट्रीय सुरक्षा पर अमेरिका की नीतियों से दबाव, आर्थिक दंडात्मक कदमों और सैन्य शक्ति के संभावित उपयोग के कारण जोखिम बढ़ सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की बड़ी शक्तियाँ अपने हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए शक्ति का इस्तेमाल करने में झिझक नहीं दिखा रहीं।
DDIS के अनुसार, ट्रंप प्रशासन का रुझान यह दर्शाता है कि अमेरिका अपने सहयोगियों पर भी अपनी नीति थोपने के लिए दबाव डाल सकता है। रिपोर्ट में उद्धृत किया गया है की, “दुनिया की महाशक्तियाँ अपने हितों को प्राथमिकता दे रही हैं और अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए बल प्रयोग का उपयोग कर रही हैं।”
रूस और चीन के साथ-साथ अमेरिका का शामिल होना यूरोप में चिंता पैदा कर रहा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यूरोपीय सुरक्षा के गारंटर के रूप में अमेरिकी भूमिका पर अनिश्चितता बढ़ती जा रही है, क्योंकि वॉशिंगटन अब अधिक ध्यान चीन पर दे रहा है। इसमें ट्रंप द्वारा लगाए गए उच्च शुल्क, आर्कटिक क्षेत्र में बढ़ती अमेरिकी सक्रियता और “अमेरिका-फर्स्ट” नीति को यूरोपीय सुरक्षा हितों के विपरीत बताया गया।
DDIS ने लिखा, “संयुक्त राज्य अमेरिका ऊंचे टैरिफ की धमकियों समेत अपनी आर्थिक ताकत का उपयोग अपनी इच्छा लागू कराने के लिए करता है और सहयोगियों के खिलाफ भी सैन्य शक्ति के इस्तेमाल को नकारता नहीं है।”
विशेष रूप से, अमेरिकी प्रशासन की हाल की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में यूरोप के लिए सभ्यतागत विनाश के स्पष्ट खतरे की चेतावनी दी गई है। साथ ही, यूरोपीय राष्ट्रों को अपनी सुरक्षा की प्राथमिक जिम्मेदारी उठाने को कहा गया है। ट्रंप प्रशासन ने यह भी सुझाव दिया कि अमेरिका को यूरोप में ऐसी राजनीतिक शक्तियों को समर्थन देना चाहिए जो आव्रजन विरोधी और राष्ट्रवादी एजेंडा को आगे बढ़ाती हैं।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा ग्रीनलैंड पर नियंत्रण की इच्छा ने वॉशिंगटन और कोपेनहेगन के बीच गंभीर कूटनीतिक तनाव पैदा किए हैं। ट्रंप ग्रीनलैंड पर सैन्य कब्जे की संभावना से भी इनकार नहीं कर चुके हैं। ग्रीनलैंड, डेनमार्क के अधीन एक महत्वपूर्ण आर्कटिक क्षेत्र है, जिसकी रणनीतिक अहमियत लगातार बढ़ रही है।
इसके अलावा, डेनमार्क उन यूरोपीय देशों में है जिसने व्हाइट हाउस की यूक्रेन शांति योजना का विरोध किया है। कोपेनहेगन का कहना है कि यह योजना रूस के हितों को अधिक महत्व देती है और महत्वपूर्ण प्रश्नों पर यूक्रेन के हितों को नुकसान पहुंचाती है।
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