अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की आक्रामक टैरिफ नीति का असर अब वॉल स्ट्रीट पर साफ़ दिखाई देने लगा है। अमेरिकी शेयर बाजार में टैरिफ वॉर के कारण बड़ी गिरावट दर्ज की गई, जिसके सोमवार (7 अप्रैल) को एशियाई बाजारों में भी भारी उथल-पुथल देखी गई। इसके बावजूद राष्ट्रपति ट्रम्प अपने फैसले पर अडिग हैं और उन्होंने टैरिफ को “लंबे समय के व्यापार असंतुलन को सुधारने वाली दवा” बताया है।
ट्रम्प ने एयर फोर्स वन में पत्रकारों से बातचीत में कहा, “कभी-कभी आपको किसी चीज़ को सही करने के लिए कड़वी दवा लेनी पड़ती है।” उन्होंने दावा किया कि टैरिफ नीति के बाद विश्व के कई नेता अमेरिका के साथ परस्पर शुल्क व्यवस्था (रेसिप्रोकल टैरिफ) पर समझौते के लिए तैयार हो रहे हैं।
हालांकि बाजार की प्रतिक्रिया इससे काफी अलग रही। अमेरिकी शेयर बाजार में भारी गिरावट के बाद एशियाई बाजारों की शुरुआत भी भारी दबाव में हुई। निवेशकों में ट्रम्प की नीतियों को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है। व्यापार युद्ध की आशंकाएं और गहराई हैं क्योंकि चीन ने भी जवाबी टैरिफ लागू करने की चेतावनी दी है।
जेपी मॉर्गन के मुख्य अर्थशास्त्री ब्रूस कासमैन ने वैश्विक मंदी की आशंका को 60 प्रतिशत तक बताया है। उन्होंने कहा कि यदि अमेरिका अपनी मौजूदा नीति से पीछे नहीं हटता, तो वैश्विक अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लग सकता है।
उधर, वॉल स्ट्रीट के विश्लेषकों ने इस स्थिति की तुलना 1987 के ‘ब्लैक मंडे’ से की है, जब वैश्विक बाजारों ने एक ही दिन में 1.71 ट्रिलियन डॉलर गंवा दिए थे। सीएनबीसी के आर्थिक विश्लेषक जिम क्रैमर ने चेतावनी दी कि ट्रम्प की व्यापार रणनीति अगर जारी रही तो बाजारों को वैसा ही संकट झेलना पड़ सकता है। फिलहाल व्हाइट हाउस की ओर से टैरिफ नीति में किसी नरमी के संकेत नहीं मिले हैं। ऐसे में बाजार एक और अस्थिर हफ्ते के लिए तैयार हैं, जबकि निवेशक अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव के समाधान की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
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