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Friday, December 5, 2025
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ऐसा मिड डे मील कभी नहीं देखा होगा, सोशल मीडिया पर छाई तस्वीर

उत्तर प्रदेश के जालौर में स्कूल की थाली में परोसी गई पूरी और पनीर की सब्जी

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उत्तर प्रदेश के जालौन में मिड-डे-मिल की तस्वीर सोशल मीडिया पर छाई हुई है। इस तस्वीर में स्कूल का बच्चा कथित तौर पर मिड-डे मील की थाली लेकर खड़ा दिख रहा है। इस थाली में पूड़ी, पनीर की सब्जी, सेब, आइसक्रीम, शेक और खीरे का सलाद जैसी चीजें दिख रही हैं। जिसके बाद जालौन का मलकपुरा गाँव और यहाँ के प्रधान सुर्खियों में आ गए। दरअसल जालौन के मलकपुर ग्राम प्रधान ने मिड-डे-मील की तस्वीर बदल दी है। पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना हुनर आजमाने के बाद 2021 में अमित ने मलकपुरा गाँव की कमान संभाली और इनके बाद से ही लगातार गाँव और स्कूल की दशा को बदलने का प्रयास कर रहे हैं। इस दिशा में उन्होंने काफी रिसर्च किया जिसके बाद गुजरात में लागू तिथि मॉडल को उन्होंने अपने स्कूल में लागू किया।  

अमित बताते हैं कि उन्हें बच्चों के लिए अच्छे खाने का आईडिया पिछले साल 31 दिसंबर को आया था। तब उन्होंने बच्चों की डिमांड पर स्कूल में मिड डे मील में पनीर की सब्जी बनवाई थी। लेकिन मिड डे मील के बजट में यह संभव नहीं है कि हर रोज इस तरह का खाना बनवाया जा सके। न ही अमित व्यक्तिगत तौर पर ऐसा कदम उठा सकते थे, क्योंकि इसमें अतिरिक्त खर्चा भी पड़ता है। इसके बाद अमित ने कोरोना काल के बाद जब स्कूल खुले तो इस दिशा में काम करना शुरू किया।

अमित ने बच्चों के मिड-डे-मील को मोडिफ़ाई कर उसमें ऐड ऑन का विकल्प जोड़ दिया। इस विकल्प के तहत कोई भी व्यक्ति अपनी स्वेच्छा से भागीदारी कर सकता है और मिड-डे-मील में अपनी पसंद का खाना दे सकता हैं। जिसका फायदा यह हुआ कि स्कूली बच्चों को अब महीने में दो से चार बार मटर पनीर, छोले, पूरी, मिठाई, मिल्क शेक, पाइनएप्पल जूस, केला और लड्डू खाने को मिलता है। हालांकि इस काम की लोगों ने सोशल मीडिया पर खूब तारीफ की साथ ही बच्चों ने बताया कि उन्हें महीने में दो या चार बार ये सारी चीजें खाने को मिलती हैं।  

अमित की अपील पर लोग आगे आए। उन्होंने अमित से संपर्क किया। लोग अपने बच्चों के बर्थडे या अन्य किसी शुभ मौकों पर बच्चों के लिए इस तरह के भोजन की व्यवस्था में अपना सहयोग दे सकता है। अमित के मुताबिक, उनके स्कूल में करीब 117 बच्चे हैं।  ऐसे में 100-115 बच्चों के लिए स्पेशल खाने पर 2000-4000 रुपए का खर्चा आता हैं।हालांकि एड ऑन मिड डे मील इस विकल्प की मदद से बच्चों को तरह-तरह के भोजन खाने को मिलते हैं। वही जन सहभागिता और लोगों की मदद से यह सब संभव हो पाया है। बच्चों के तकनीकी शिक्षा को लेकर भी कई सारे बदलाव किए जा रहे हैं। बच्चों को कंप्युटर शिक्षा से लेकर खेल के मैदान में भी तैयार किया जा रहा है। 

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