उत्तर प्रदेश पुलिस की एंटी टेरोरिज्म स्कॉड (ATS) ने बुधवार (19 नवंबर) को वाराणसी के सारनाथ से सुलेमान और इदरीस को 1 लाख 97 हजार के जाली नोटों के साथ गिरफ्तार करते हुए, महाकुंभ में जाली नोटों के वितरण की साजिश को नाकाम कर दिया है।
ATS अधिकारी अब इनके साथी जाकिर की तलाश में जुटे है, जो इस रैकेट का मास्टरमाइंड है। वह सुलेमान और इदरीस को नकली नोट देता था और उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में नकली पैसे वितरित करता था। जाकिर पश्चिम बंगाल के मालदा का रहने वाला है। जांच में पता चला कि उसे बांग्लादेश से जाली नोट मिलते है।
दरसल 19 नवंबर को एटीएस को पता चला कि पश्चिम बंगाल से नकली नोटों की खेप लेकर लोगों का एक समूह वाराणसी ट्रेन से उतरा है। पुलिस ने संदिग्धों की तलाश शुरू कर दी। फरीदपुर बाईपास पर दो व्यक्ति पिट्ठू बैग लिए खड़े दिखे। पुलिस को देख दोनों भागे। पकड़े जाने के बाद पूछताछ में उनमें से एक ने अपनी पहचान मोहम्मद सुलेमान अंसारी (67) बताई। उसके पास से मोबाइल फोन, पैन कार्ड, नकदी और रेलवे टिकट मिला। एक अन्य आरोपी ने अपनी पहचान इदरीस के रूप में बताई। उसके पास से रेलवे टिकट और मोबाइल फोन बरामद किया गया है। तलाशी के दौरान उनके पास से 500 रुपये के नकली नोटों की गड्डियां बरामद हुईं। जाकिर ने उन्हें करीब दो लाख रुपये की रकम मुहैया करायी. उन्हें तीस हजार रुपये के असली नोट और एक लाख रुपये के नकली नोट मिलते थे।
आरोपियों ने पूछताछ के दौरान स्वीकार किया कि वे वाराणसी में उपयोग के लिए नकली नोट खरीदने के बाद विभिन्न वाहनों से पश्चिम बंगाल लौट आए। इसके बाद बचे हुए नोटों का इस्तेमाल अगले साल जनवरी महीने में प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ मेले में किया जाना था। गिरफ्तारी से पहले दोनों ने रिटेल शॉपिंग की थी और नकली नोटों वाली चाय पी थी।
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सुलेमान और इदरीस बिहार के वैशाली जिले के रहने वाले हैं। सुलेमान मालदा में पंक्चर बनाने का काम करता था, जहां से वह जाली नोटों का मास्टरमाइंड जाकिर के संपर्क में आया। रिपोर्ट के अनुसार, जाकिर इससे पहले भी 2 लाख के जाली नोटों के साथ पकड़ा गया था, साथ ही ६ महीनें तक हाजीपुर जेल में कैद था। सुलेमान और इदरीस की गिरफ्तारी के बाद ATS के इंस्पेक्टर भारतभूषण तिवारी ने सारनाथ थाने में केस दर्ज कराया।