अधर्म पर धर्म और बुराई पर अच्छाई की जीत ​का​ पर्व ​है दशहरा​!

ज्योतिष में विजयादशमी को कोई भी शुभ कार्य करने के लिए श्रेष्ठ और सर्वसिद्धिदायक मुहूर्त माना जाता है। ​

अधर्म पर धर्म और बुराई पर अच्छाई की जीत ​का​ पर्व ​है दशहरा​!

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शारदीय नवरात्रि पर मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करने के बाद दशमी तिथि को दशहरे पर पर्व मनाया जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 12 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 57 मिनट से शुरू हो रही है और इसका समापन 13 अक्टूबर को सुबह 09 बजकर 07 मिनट पर होगा। ऐसे में दशहरा पर्व 12 अक्टूबर को है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस तिथि पर भगवान श्रीराम ने लंकापति रावण का वध करते हुए विजय हासिल की थी, जिस कारण से इसे विजयादशमी भी कहा जाता है। दशहरे पर देशभर में कई जगहों पर रावण का दहन किया जाता है। इसके अलावा विजयादशमी पर शस्त्रों की पूजा भी होती है।

​बता दें कि दशहरा का पर्व अधर्म पर धर्म और बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। वैदिक परंपरा के अनुसार विजयदशमी पर रावण दहन प्रदोष काल ( सूर्यास्त के बाद का समय) में करना बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसे में 12 अक्टूबर को रावण दहन के लिए शुभ मुहूर्त का समय शाम 5 बजकर 52 मिनट से लेकर शाम 07 बजकर 26 तक रहेगा।

दशहरे पर रावण के साथ मेघनाथ और कुंभकरण के पुतलों का भी दहन किया जाता है। इस बार पंचांग के अनुसार दशहरा पर बहुत ही शुभ योग का निर्माण हो रहा है। 12 अक्टूबर को दशहरा पर सर्वार्थसिद्धि, रवियोग और श्रवण नक्षत्र बन रहा है। दशहरा पर इन तीन शुभ योग बनने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 5 बजकर 25 मिनट से लेकर 13 अक्टूबर को सुबह 4 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। रवि योग सुबह सुबह 6 बजकर 20 मिनट से 13 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 21 तक रहेगा।

गौरतलब है कि  दशहरा का त्योहार असत्य पर सत्य की जीत और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन 10 दिन से चलने वाले युद्ध में मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया था और भगवान राम ने रावण का अंत करके लंका पर विजय प्राप्त की थी। इस वजह से इस दिन शस्त्र पूजा, दुर्गा पूजा, राम पूजा और शमी पूजा का महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो कार्य शुरू किया जाता है उसमें जीत अवश्य मिलती है।

सनातन धर्म ग्रंथों के अनुसार अक्षय तृतीया, बसंत पंचमी, और विजयदशमी सार्वभौमिक रूप से वर्ष के श्रेष्ठतम मुहूर्त हैं। इन मुहूर्तो में किए गए किसी भी तरह के शुभ-अशुभ कार्य का फल निष्फल नहीं होता। दशहरा का पर्व एक अबूझ मुहूर्त है। अबूझ मुहूर्त में कोई भी शुभ कार्य बिना मुहूर्त देखें किया जा सकता है। अबूझ मुहूर्त में खरीदारी, भूमिपूजन, व्यापार आरम्भ करना, गृहप्रवेश आदि जैसे सभी तरह के मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं। ज्योतिष में विजयादशमी को कोई भी शुभ कार्य करने के लिए श्रेष्ठ और सर्वसिद्धिदायक मुहूर्त माना जाता है।
 
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