विपश्यना प्राचीन भारत और आधुनिक विज्ञान का एक अद्वितीय उपहार है जो आधुनिक जीवनशैली में तनाव को दूर रखने में मदद कर सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि विपश्यना युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक सभी को जीवन के तनाव से निपटने के लिए सशक्त बनाती है। विपश्यना शिक्षक एस.एन. गोयनका की जन्मशती के मौके पर मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑडियो-विजुअल के जरिए दर्शकों से बातचीत की| इस मौके पर उन्होंने विपश्यना विषय के महत्व पर जोर दिया|
उन्होंने कहा कि विपश्यना या ध्यान को कभी त्याग या तपस्या के साधन के रूप में देखा जाता था। हालांकि, आज के व्यावहारिक जगत में विपश्यना को व्यक्तित्व विकास के एक उपाय के रूप में देखा जाता है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने यह भी राय व्यक्त की कि आधुनिक विज्ञान के मानकों के अनुरूप विपश्यना के फायदों के प्रमाण पूरी दुनिया के सामने लाने की जरूरत है। हर कोई अपने जीवन में तनाव और अवसाद का अनुभव करता है। प्रधानमंत्री ने कहा, लेकिन विपश्यना की शिक्षाएं खुद को इस तनाव से दूर रखने में मदद करती हैं।
‘गोयनका की शिक्षाएं प्रेरणादायक हैं’: एस.एन.गोयनका ‘एक जीवन एक लक्ष्य’ कहावत का उपयुक्त उदाहरण हैं। प्रधान मंत्री ने यह भी कहा कि गोयनका की शिक्षाएं और समाज के कल्याण में उनका योगदान प्रेरणादायक है क्योंकि हम एक विकसित भारत की दिशा में अपनी यात्रा जारी रख रहे हैं। गौतम बुद्ध से प्रेरित होकर गोयनका गुरुजी कहते थे कि जब बड़ी संख्या में लोग एक साथ ध्यान करते हैं तो उसका प्रभाव बहुत प्रभावशाली होता है। प्रशंसनीय प्रधान मंत्री ने यह भी निष्कर्ष निकाला कि ऐसी एकता की शक्ति विकसित भारत का महान स्तंभ है।
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