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Tuesday, May 20, 2025
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भारत-इजरायल के संबंधों में कौन लाना चाहता है खटास? इजरायल ने खोली पोलपट्टी!

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भारत और इजरायल—दो लोकतांत्रिक देश, जो दशकों से न सिर्फ रक्षा सहयोग, बल्कि तकनीक, कृषि, आंतरिक सुरक्षा और रणनीतिक भागीदारी में भी एक-दूसरे के विश्वसनीय साझेदार रहे हैं। लेकिन इस हफ्ते एक झूठे और शरारतपूर्ण दावे ने दोनों देशों के रिश्तों में खटास लाने की नाकाम कोशिश की।

दावा यह था कि इजरायल ने भारत के विदेश मंत्रालय को एक ‘नोट वर्बल’ जारी कर जम्मू-कश्मीर में हुए संयुक्त सैन्य अभ्यास के दौरान एक भारतीय अधिकारी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। इस झूठी कहानी की स्याही सूखती, उससे पहले ही भारत में इजरायली दूतावास ने इस फर्जीवाड़े की पोलपट्टी खोल दी।

दूतावास ने बुधवार को सख्त लहजे में कहा कि ऐसा कोई नोट वर्बल जारी नहीं किया गया है और यह दावा पूरी तरह झूठा, आधारहीन और भारत-इजरायल के मजबूत रिश्तों को नुकसान पहुंचाने की साजिश है। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर दूतावास ने लिखा—
“अविश्वसनीय! इजरायल और भारत के बीच रिश्ता इतना मजबूत है कि नफरत करने वाले इसे नुकसान पहुंचाने के लिए फर्जी खबरों का सहारा ले रहे हैं। यह काम नहीं करेगा।”

साफ है कि कोई ऐसा तत्व सक्रिय है जो इन दोनों देशों के बीच विश्वसनीयता और सहयोग की दीवार में दरार डालना चाहता है। लेकिन समय का चयन भी अपने आप में संदेहास्पद है—यह अफवाह ऐसे समय फैलाई गई जब कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद इजरायल ने भारत के साथ खुलकर एकजुटता दिखाई।

22 अप्रैल को हुए इस कायरतापूर्ण आतंकी हमले के बाद इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर भारतीय नागरिकों के प्रति संवेदना व्यक्त की और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहने की प्रतिबद्धता दोहराई।

“प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के दुख को साझा करने के लिए मुझे धन्यवाद दिया और इस बात पर जोर दिया कि हमारे दोनों देश जानलेवा आतंकवाद के खिलाफ महत्वपूर्ण लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं,” नेतन्याहू ने एक्स पर लिखा।

सिर्फ इतना ही नहीं, इजरायली राजदूत रियूवेन अजार और भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बीच हालिया मुलाकात में भी दोनों देशों ने सीमा पार आतंकवाद और साझा रणनीतिक चुनौतियों पर मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई।

ऐसे में यह प्रश्न उठना लाज़िमी है—कौन है जो भारत-इजरायल की इस परिपक्व साझेदारी से घबराया हुआ है? कौन है जो फर्जी खबरें फैलाकर भरोसे की नींव हिलाना चाहता है?

पर एक बात तय है—भारत और इजरायल के रिश्ते सोशल मीडिया के वायरल झूठ से नहीं डिगते। ये संबंध साझा विश्वास, सुरक्षा के लिए साझी लड़ाई और परस्पर सम्मान पर टिके हैं। और ऐसे रिश्ते अफवाहों की आंधी में नहीं, हकीकत की ज़मीन पर खड़े होते हैं।

दूतावास ने सोशल मीडिया मंच एक्स (पूर्ववर्ती ट्विटर) पर सख्त शब्दों में कहा, “अविश्वसनीय! इजरायल और भारत के बीच रिश्ता इतना मजबूत है कि नफरत करने वाले इसे नुकसान पहुंचाने के लिए फर्जी खबरों का सहारा ले रहे हैं। यह काम नहीं करेगा।” यह बयान उस वक्त आया है जब दोनों देशों के रिश्ते राजनीतिक, रक्षा और रणनीतिक मोर्चों पर एक नए ऊंचाई की ओर बढ़ रहे हैं।

यह घटनाक्रम ऐसे समय सामने आया है जब भारत आतंकी हमले की विभीषिका से उबरने की कोशिश कर रहा है। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम स्थित बैसरन घाटी में पर्यटकों पर हुए भीषण आतंकी हमले के बाद इजरायल ने भारत के साथ अपनी पूर्ण एकजुटता जताई। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की और इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ साझा संघर्ष में साथ खड़े होने का संकल्प दोहराया।

नेतन्याहू ने 24 अप्रैल को एक्स पर लिखा, “मैंने आज भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की और कश्मीर में इस्लामी आतंकवादी हमले के बाद भारत के लोगों के प्रति अपनी और इजरायल के लोगों की संवेदनाएं व्यक्त कीं। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के दुख को साझा करने के लिए मुझे धन्यवाद दिया और इस बात पर जोर दिया कि हमारे दोनों देश जानलेवा आतंकवाद के खिलाफ महत्वपूर्ण लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।”

सिर्फ संवेदनाएं ही नहीं, कूटनीतिक स्तर पर भी भारत और इजरायल में सक्रिय संवाद जारी है। पिछले सप्ताह विदेश मंत्री एस. जयशंकर और इजरायली राजदूत रियूवेन अजार के बीच नई दिल्ली में अहम बैठक हुई। अजार ने चर्चा को “उपयोगी और प्रेरणादायक” बताते हुए लिखा कि “आम चुनौतियों का मुकाबला करने और कई अवसरों का लाभ उठाने के लिए भारत और इजरायल के मिलकर काम करने की उम्मीद है!”

यह स्पष्ट है कि कुछ तत्वों द्वारा गढ़ी गई झूठी खबरें भारत-इजरायल के मजबूत रणनीतिक रिश्तों को कमजोर नहीं कर सकतीं। इस वक्त जबकि दोनों देश आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई में साथ हैं, ऐसी अफवाहें न केवल असंवेदनशील हैं बल्कि खतरनाक भी।

फर्जीवाड़े की इस डिजिटल साजिश के बावजूद यह संदेश साफ है—भारत और इजरायल न केवल कूटनीतिक सहयोगी हैं, बल्कि साझा मूल्यों और सुरक्षा की लड़ाई में भरोसेमंद साझेदार भी हैं।

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