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Thursday, December 11, 2025
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‘महिला नेतृत्व विकास’ बना नया मंत्र, पीएम मोदी ने सराही उपलब्धियां ‘मन की बात’ में!

आज वही महिलाएं बाजरा, श्रीअन्न से बिस्किट बना रही हैं। यह बिस्किट 'भद्राद्री मिलेट मैजिक' नाम से न सिर्फ हैदराबाद, बल्कि लंदन तक भेजा जा रहा है।  

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प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मन की बात’ के 123वें एपिसोड के माध्यम से लोगों को संबोधित करते हुए देश की महिलाओं की प्रेरणादायक कहानियों को साझा किया। उन्होंने कहा कि ‘महिला नेतृत्व विकास’ मंत्र भारत का नया भविष्य गढ़ने के लिए तैयार है। हमारी माताएं, बहनें और बेटियां अब केवल अपने लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए नई राहें बना रही हैं।

प्रधानमंत्री ने तेलंगाना के भद्राचलम की महिलाओं का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, ”तेलंगाना के भद्राचलम की महिलाओं की सफलता के बारे में जानेंगे तो आपको भी अच्छा लगेगा। ये महिलाएं कभी खेतों में मजदूरी करती थीं। रोजी रोटी के लिए दिन-भर मेहनत करती थीं।

आज वही महिलाएं बाजरा, श्रीअन्न से बिस्किट बना रही हैं। यह बिस्किट ‘भद्राद्री मिलेट मैजिक’ नाम से न सिर्फ हैदराबाद, बल्कि लंदन तक भेजा जा रहा है। ये महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़कर प्रशिक्षित हुईं और आत्मनिर्भर बनीं।”

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में आगे कहा, ”इन महिलाओं ने एक और सराहनीय काम किया है। इन्होंने ‘गिरी सैनिटरी पैड्स’ बनाना भी शुरू किया। मात्र तीन महीनों में इन्होंने 40,000 पैड्स बनाकर स्कूलों और कार्यालयों में बहुत ही सस्ती दर पर वितरित किए। यह कार्य न केवल महिला स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ा रहा है, बल्कि एक सशक्त सामाजिक बदलाव का प्रतीक भी बन रहा है।”

प्रधानमंत्री ने कर्नाटक के कलबुर्गी की महिलाओं की भी सराहना की। पीएम मोदी ने कहा, ”कलबुर्गी की महिलाओं ने ज्वार की रोटी को एक ब्रांड का रूप दिया। इन्होंने एक सहकारी समिति बनाई है, जिसमें हर दिन तीन हजार से अधिक ज्वार की रोटियां बनाई जा रही हैं।

इन रोटियों की महक अब सिर्फ गांवों में ही नहीं, बल्कि बेंगलुरु जैसे महानगरों में भी फैल रही है। बेंगलुरु में स्पेशल काउंटर खुल चुके हैं। ऑनलाइन फूड प्लेटफॉर्म्स पर इनके ऑर्डर मिल रहे हैं, जिससे इन महिलाओं की आमदनी में वृद्धि हुई है।”

प्रधानमंत्री ने मध्यप्रदेश की सुमा उईके का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, ”बालाघाट जिले के कटंगी ब्लॉक में स्वयं सहायता समूह से जुड़कर मशरूम की खेती और पशुपालन का प्रशिक्षण लिया। धीरे-धीरे उन्होंने अपनी आय बढ़ाई और अपने काम को ‘दीदी कैंटीन’ और ‘थर्मल थेरेपी सेंटर’ तक विस्तारित कर दिया।

सुमा की तरह देशभर में अनेक महिलाएं हैं, जो अपने छोटे-छोटे प्रयासों से न केवल स्वयं को सशक्त बना रही हैं, बल्कि देश को भी आत्मनिर्भर बना रही हैं। इन सभी कहानियों में आत्मविश्वास, परिश्रम और समर्पण की एक जैसी चमक है, जो ‘नए भारत’ के निर्माण की सच्ची प्रतीक हैं।”
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